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मूलभूत सुविधाओं से विहीन तैयबपुर रेलवे स्टेशन पर हो रहा मात्र चार ट्रेनों का ठहराव

पोठिया : सिलीगुड़ी-अलुआबाड़ी रेल खंड यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. ज्ञात हो कि तैयबपुर रेलवे स्टेशन को पूर्व में बी ग्रेड स्टेशन का दर्जा प्राप्त था. वाटर पंप सप्लाई वाला स्टेशन होने की वजह से यहां पर भांप से चलने वाली दर्जनों गाड़ियां रुक कर पानी भरा करती थी. पहले यहां […]

पोठिया : सिलीगुड़ी-अलुआबाड़ी रेल खंड यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. ज्ञात हो कि तैयबपुर रेलवे स्टेशन को पूर्व में बी ग्रेड स्टेशन का दर्जा प्राप्त था.

वाटर पंप सप्लाई वाला स्टेशन होने की वजह से यहां पर भांप से चलने वाली दर्जनों गाड़ियां रुक कर पानी भरा करती थी. पहले यहां 18 ट्रेनों का ठहराव होता था. जबकि आज मात्र चार ट्रेनों का ही ठहराव है. तैयबपुर रेल संघर्ष समिति के मदन पांडे, गौतम यादव, निरंजन रॉय, जाहिदुर रहमान सहित स्थानीय ग्रामीण भरत राम, फूल मोहमद, नंद किशोर चौधरी, अनिल चौधरी ने कहा एमजी रेल को बीजी में परिवर्तन के बाद अमान परिवर्तन कर रेलवे विभाग ने तैयबपुर स्टेशन की उपेक्षा की है. रेलवे की उपेक्षा के कारण आज तैयबपुर रेलवे स्टेशन अब हॉल्ट के रूप में तब्दील होकर रह गया है.
बताते चलें कि प्रत्येक माह रेलवे को लाखों रुपये का आय देने के बावजूद इस स्टेशन को रेलवे द्वारा कोई तरजीह नहीं दी जा रही है. जानकारों की माने तो भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद 1962 में अपने सिलीगुड़ी दौरे के क्रम में रेल मार्ग से जाते समय तैयबपुर स्टेशन पर रुके थे. लेकिन विडंबना है कि आज यह स्टेशन कई मूलभूत सुविधाओं से विहीन है़
स्टेशनों पर शौचालय बिजली तथा पेयजल की व्यवस्था नदारद है. विद्युत कनेक्शन होने के बावजूद पूरा स्टेशन परिसर अंधकार में डूबा रहता है. शौचालय का निर्माण तो किया गया है, परंतु पानी की व्यवस्था नहीं रहने से अब यह किसी काम का नहीं है. यात्री शेड के अंदर यात्रियों के बैठने के लिए बनायी गयी कुर्सियां लगभग टूट चुकी हैं.
यही नहीं प्लेटफॉर्म पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है. लोगों द्वारा प्लेटफॉर्म पर फसल सुखाये जाने से यात्रियों को ट्रेन पर चढ़ने के समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिससे यात्रियों को फिसल कर गिरने का डर हमेशा लगा रहता है.
परंतु रेलवे के अधिकारी इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. जिससे अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि रेल संघर्ष समिति तैयबपुर के सौजन्य से रेलवे स्टेशन की समस्याओं को लेकर कई बार रेलवे के आला अधिकारियों को आवेदन देकर ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
यही नहीं स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से रेल संघर्ष समिति ने आंदोलन भी किया है. जबकि मौके पर भी वरीय पदाधिकारी पहुंच कर स्टेशन की समस्याओं की जल्द समाधान किये जाने का आश्वासन दिया था, परंतु आज तक रेलवे द्वारा इस ओर कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गयी है.
इधर रेल संघर्ष समिति के सदस्य मदन पांडे, निरंजन रॉय, रुहुल अमीन, अफजलुल बसर, केशव यादव, अशोक घोष, अनिल चौधरी, गौतम कुमार यादव आदि ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जल्द समस्याओं के समाधान किये जाने की मांग की है. अन्यथा आंदोलन करने की धमकी दी है.

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