अपनों के आने की आस में हैं परिजन

किशनगंज : जम्मू कश्मीर में आयी भीषण बाढ़ में किशनगंज प्रखंड क्षेत्र के महीनगांव पंचायत स्थित गोविंदपुर गांव से रोजी-रोटी की तलाश में गये दर्जनों मजदूर का कोई अता-पता नहीं है. मजदूरों के परिजन का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. किसी का बेटा तो किसी का पति तो किसी का पिता मजदूरी करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2014 3:43 AM

किशनगंज : जम्मू कश्मीर में आयी भीषण बाढ़ में किशनगंज प्रखंड क्षेत्र के महीनगांव पंचायत स्थित गोविंदपुर गांव से रोजी-रोटी की तलाश में गये दर्जनों मजदूर का कोई अता-पता नहीं है.

मजदूरों के परिजन का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. किसी का बेटा तो किसी का पति तो किसी का पिता मजदूरी करने कश्मीर गये हुए थे. कश्मीर में आयी भीषण बाढ़ की सूचना के बाद से मजदूरों के घरों में चूल्हे-चौके बंद हैं.

गोविंदपुर निवासी अलीमुन निशा का पुत्र जलाबुर रहमान, साजनु खातून का पति सलीमउद्दीन, माजरा खातून का पति शाकिर आलम, जलवन खातून का पति जाफर अली, मो मुश्तफा के पुत्र फारूक आलम एवं रोबी आलम, मनीरूद्दीन के पुत्र तालीम के अलावा अन्य कई परिवारों के मुखिया सेब बागान, धन कटनी एवं राज मिस्त्री के हेल्फर के रूप में कश्मीर गये हुए थे.

कमाने गये मजदूरों के परिजनों ने मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है. महीनगांव के मुखिया जवाहर यादव ने बताया कि मैंने जिला प्रशासन को आवेदन देकर जम्मू कश्मीर में फंसे मजदूरों के बारे में बिहार सरकार के माध्यम से कश्मीर सरकार से संपर्क कर जिले से गये मजदूरों के बारे में जानकारी उनके परिजनों को उपलब्ध कराने का आग्रह किया.

अफवाह से परेशान

रोजी-रोटी की तलाश में जिले से सैकड़ों मजदूर कश्मीर गये हैं. वहां भयंकर बाढ़ में मौत की अफवाह से मजदूरों के परिजन सहमे -सहमे हैं. रविवार की रात से सोमवार दिन भर मजदूरों के परिजन रेलवे स्टेशन, जीआरपी थाना, सदर थाना, सदर अस्पताल एवं बीएसएफ कैंप एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय के चक्कर लगाते रहे. अफवाह था कि मजदूरों के शवों को कश्मीर से किशनगंज भेजा गया है. रविवार को अमरनाथ एक्सप्रेस किशनगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही मजदूरों के परिजन व उनके शुभ चिंतकों का हुजूम स्टेशन पहुंच गये.

अफवाह यह भी थी कि हेलीकॉप्टर से मृतकों के शव को किशनगंज भेजा गया है, जिससे लोग बीएसएफ कैंप और थाना पहुंच गये. जिले से सटे पश्चिम बंगाल में स्थित रेचरी एवं ग्वालपोखर गांव के दो दर्जन लोग कश्मीर गये हुए थे. शव आने की खबर पाकर मो जैमुद्दीन पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच गये. जैमुद्दीन ने बताया कि उनके पांच पुत्रों में कैसर, जुल्फीकार, एनामुल, सफीउल, अबिदुल एवं नाती राशिद कमाने के लिए कश्मीर गये हुए थे, जिनका कोई अत-पता नहीं है.

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