छत्तरगाछ : पहाड़कट्टा थाना क्षेत्र अंतर्गत रायपुर दुर्गा मंदिर में 251 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. बताया जाता है कि इस मंदिर में 251 वर्ष पुराना बलि देने का खड़ग भी मौजूद है,
जिसे ग्रामीण आज भी बड़े हिफजात के साथ संभाल कर रखे हुए हैं. यह भक्तों और दिव्य शक्ति के आस्था और विश्वास के रिश्ते का एक अनूठा उदाहरण है. रायपुर गांव के 70 वर्षीय सको देवी कहती हैं कि यहां जो भी अपनी सच्चे मन से जो मन्नते मांगते हैं वह पूरी हो जाती है.
मन्नते पूरी होने के बाद श्रद्धालु मां के दरबार में आकर अपना शीष झुका कर मां भगवती के प्रति आभार प्रकट करते हैं. मंदिर सह पूजा समिति के अध्यक्ष श्याम सुंदर दास ने 251 वर्ष पुराना खड़ग दिखाते हुए कहा कि इस दरबार में आने वाले भक्तों का कष्ट मां भगवती हर लेती है. प्रत्येक वर्ष नवमी को बलि देने के लिए खड़ग को निकाला जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा समिति के अध्यक्ष उमा शंकर दास कहते है कि नवरात्र में मंदिर परिसर में मेला लगता है तथा यहां प्रत्येक वर्ष लगभग डेढ़ सौ बकरों की बलि दी जाती है.
उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम पूजा रायपुर के ग्रामीण सामूहिक रूप से शुरू की थी. उस समय रायपुर दुर्गा मंदिर में आस पास गांव सहित ठाकुरगंज प्रखंड तथा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर पूजा-अर्चना करते थे. ऐसा हमारे पूर्वजों का कहना था. इसी परंपरा के तहत आज भी मां की पूजा की जाती है.छत्तरगाछ प्रतिनिधि के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र में पूजा समितियों द्वारा दुर्गापूजा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है.
पोठिया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत छत्तरगाछ, इंदरपुर, धमनिया, रायपुर, कलियागंज, पोठिया बाजार, दामलबाड़ी तथा दलुआ, मिर्जापुर सहित कई स्थानों पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है. दुर्गा मंदिर छत्तरगाछ के मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुकारू लाल राय, सदस्य जोगेन लाल राय, दीनानाथ, रंजीत पोद्दार आदि ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा को मंदिर में स्थापित कर छत्तरगाछ में भव्यता के साथ दुर्गा पूजा किया जायेगा. इधर मूर्तिकारों द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इधर क्षेत्र के मंदिरों को पूजा कमेटी के सदस्यों द्वारा रंगाई पोताई का काम युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है.