किशनगंज : कृषि विज्ञान केंद्र किशनगंज के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय मृदा दिवस के अवसर पर शनिवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिले के उपस्थित कृषकों को मृदा जांच की उपयोगिता व नमूना लेने का तरीका तथा जांच के आधार पर उर्वरकों का उपयोग कर केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा परिचर्चा की गयी.
उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर विधान पार्षद डाॅ दिलीप कुमार जायसवाल, डाॅ डीपीएस दिवाकर, बीएसएफ कमांडेंट नंद राम, डाॅ केएम सिंह व केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया.
मुख्य अतिथि डाॅ दिलीप कुमार जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि स्नातक अपना क्लीनिक खोले ताकि किसान पहले आपके पास पहुंचे व कम खाद का प्रयोग कर बेहतर फसल उपजाये ताकि लोग स्वस्थ्य रह सके.
उन्होंने केंद्र के कार्य को सराहना करते हुए कहा कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें ताकि अपनी मिट्टी की जांच के महत्व को समझ सके. उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए डा केएम सिंह ने कहा कि उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या साथ ही स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पर रहा है.
इस समस्या के समाधान हेतु कृषक मृदा की जांच के आधार पर फसलों में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग कर सकते है. इससे उर्वरक पर अत्यधिक खर्च में कमी तथा भूमि की हो रही उर्वरा की क्षरण को रोका जा सकता है और पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. डाॅ डीपीएस दिवाकर द्वारा जिले के पानी की जांच कर मृदा उर्वरकता नक्शा किसानों को उपलब्ध कराने की बात कही.
वहीं डाॅ कलाम के छात्र-छात्रा ने पर्यावरण सुरक्षा पर नाटक प्रस्तुत किया साथ ही कलाम कॉलेज के वैज्ञानिक एवं छात्रों द्वारा कृषि के हित में कार्य करने का संकल्प दोहराया.
िकसानों को िदखायी गयी िफल्म
इस अवसर पर मृदा जांच से संबंधित चलचित्र दिखाया गया. मुख्य अतिथि द्वारा नि:शुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया. साथ ही इस अवसर पर 30 पशु पालकों को पशुपालन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण जो केंद्र में पशु वैज्ञानिक डा रत्नेश कुमार चौधरी द्वारा दिया गया था. उसका प्रमाण पत्र मुख्य अतिथि डाॅ दिलीप कुमार जायसवाल द्वारा दिया गया.
मंच का संचालन कर रहे डा रत्नेश कुमार चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन किया. मृदा जांच मो मेराज, कार्यक्रम सहायक, प्रयोगशाला व डाॅ भोला नाथ साहा, सहायक प्राध्यापक के सहयोग से किया गया है.
इस कार्यक्रम में डाॅ कलाम कृषि महाविद्यालय के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारी, छात्र-छात्रा एवं जिले के कृषि मौजूद थे.