13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न सड़क न िबजली, धूल से खेती चौपट

तीन ओर बंगाल की सीमा से घिरा वार्ड 34 में जाने के लिए न तो पक्की सड़क है और न ही यहां िबजली की सुविधा है. यहां की 80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है. नगर परिषद क्षेत्र में होते हुए भी इस वार्ड की ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे […]

तीन ओर बंगाल की सीमा से घिरा वार्ड 34 में जाने के लिए न तो पक्की सड़क है और न ही यहां िबजली की सुविधा है. यहां की 80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है. नगर परिषद क्षेत्र में होते हुए भी इस वार्ड की ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही प्रशासन सुधि ले रहा है.

किशनगंज : स्थानीय प्रशासन के विकास के बड़े-बड़े दावों से रू-ब-रू होना है, तो नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 34 मझिया का भ्रमण जरूर कर लें. लगभग छह किमी की परिधि में फैला यह वार्ड यूं तो जनसंख्या व क्षेत्रफल के लिहाज से पूरे नगर परिषद क्षेत्र में पहला स्थान रखता है.

परंतु अगर विकास की बात करें तो आजादी के 68 साल बाद भी यहां के निवासी विकास की रोशनी से कोसों दूर है. नगर परिषद क्षेत्र के अंतर्गत होने के बावजूद शहरी चकाचौंध यहां खोजने से भी नहीं मिलेगी.

तीन ओर बंगाल सीमा से घिरा है

तीन तरफ से पश्चिम बंगाल की सीमा से घिरे होने के कारण बंगाल से शहर में प्रवेश करने वाले लोगों को हर हाल में मझिया होकर ही गुजरना पड़ता है.

सुविधाओं के घोर अभाव के कारण यहां मात्र इक्के-दुक्के व्यापारिक प्रतिष्ठान ही नजर आते हैं, जबकि चौक-चौराहों पर चाय पान की दुकानों की भरमार है और आखिर हो भी क्यों न. यहां की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करती हो तथा रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन हो रहा हो वहां इससे अधिक की कल्पना करना भी बेमानी होगा.

मूलभूत सुविधा का भाव

सरकार द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं का भी यहां घोर अभाव है. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, जल निकासी आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं से मझिया के कुल 11 टोलों में निवास करने वाली 12 हजार से अधिक की आबादी आज भी वंचित है.

गड्ढे में तब्दील सड़क

शहर के खगड़ा से मझिया सीमा में प्रवेश करते ही धूल के गुबार उड़ाते गड्ढों में तब्दील सड़क प्रारंभ हो जाती है. बची खुची कसर इलको में कुकुरमुत्ते की तरह उग आये ईंट भट्टा पूरी कर देते हैं.

जर्जर हो चुकी सड़क पर तेज रफ्तार से गुजरते ईंट भट्टों के ट्रैक्टरों से किसी प्रकार बचते-बचते अगर आप मझिया पहुंच भी जाते हैं, तो आप पूरी तरह से धूल-धुसरित हो जायेंगे. इस दरम्यान सड़क किनारे की खेतों को देख कर आप चौक पड़ेंगे.

खेतों में लहलहाती फसल के धूल के कणों से ढक गयी है.

ईट भट्ठा से घिरा वार्ड

ईंट भट्टे से निकलने वाले काले धुएं ने भी इलाके की खेती को चौपट कर दिया है. नतीजतन अपराध का ग्राफ भी यहां लगातार बढ़ता जा रहा है.

क्या कहते हैं वार्डवासी

नगर परिषद क्षेत्र में होने के बावजूद बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण नूर इस्लाम ने बताया कि इलाके की बदहाली के कारण इस गांव में कोई अपना रिश्ता करना नहीं चाहता है. बेटियों का रिश्ता तय करने के बाद जब लड़के वाले मझिया आते हैं, तो इलाकेे की बदहाल स्थिति को देख रिश्ता करने से साफ इनकार कर जाते हैं.

मो मनीरूद्दीन ने बताया कि सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में यह इलाका सदियों से पिछड़ा पड़ा है. नगर परिषद क्षेत्र में होने के बावजूद यहां की स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है. नजीर हुसैन ने बताया कि 11 टोलों के मझिया में मात्र 1.3 मध्य विद्यालय 2 प्राथमिक विद्यालय सहित मात्र 3 आंगनबाड़ी केंद्र है. नतीजतन बच्चों 8 किमी दूर किशनगंज जाकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है. देव सुंदरी देवी ने बताया कि सड़क की जर्जर अवस्था के कारण कई बार तो प्रसूता को सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले जाने के दौरान बीच रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. उपस्वास्थ्य केंद्र के अभाव के कारण इलाके के लोग झोला छाप डॉक्टर के सहारे ही अपना इलाज कराने को बाध्य हैं.

संतोष साहा ने बताया कि विद्युतीकरण के अभाव के कारण 11 टोलों में से 6 टोले, आज भी लालटेन युग में जीने को विवश हैं. उन्होंने बताया कि जिन पांच टोलों में विद्युतीकरण कार्य किया गया है वहां भी लोग बांस-बल्ले के सहारे ही विद्युत उपभोग कर रहे हैं. ममता देवी ने बताया कि फूस व प्लास्टिक के सहारे बनाये गये अपने आशियाने में किसी तरह जीवन व्यतीत करने को विवश हैं. इंदिरा आवास व शौचालय आदि तो दूर की कौड़ी नजर आती है.

नगर परिषद क्षेत्र में होने के बावजूद बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण नूर इस्लाम ने बताया कि इलाके की बदहाली के कारण इस गांव में कोई अपना रिश्ता करना नहीं चाहता है. बेटियों का रिश्ता तय करने के बाद जब लड़के वाले मझिया आते हैं, तो इलाकेे की बदहाल स्थिति को देख रिश्ता करने से साफ इनकार कर जाते हैं.

मो मनीरूद्दीन ने बताया कि सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में यह इलाका सदियों से पिछड़ा पड़ा है. नगर परिषद क्षेत्र में होने के बावजूद यहां की स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है. नजीर हुसैन ने बताया कि 11 टोलों के मझिया में मात्र 1.3 मध्य विद्यालय 2 प्राथमिक विद्यालय सहित मात्र 3 आंगनबाड़ी केंद्र है. नतीजतन बच्चों 8 किमी दूर किशनगंज जाकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है. देव सुंदरी देवी ने बताया कि सड़क की जर्जर अवस्था के कारण कई बार तो प्रसूता को सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले जाने के दौरान बीच रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. उपस्वास्थ्य केंद्र के अभाव के कारण इलाके के लोग झोला छाप डॉक्टर के सहारे ही अपना इलाज कराने को बाध्य हैं.

संतोष साहा ने बताया कि विद्युतीकरण के अभाव के कारण 11 टोलों में से 6 टोले, आज भी लालटेन युग में जीने को विवश हैं. उन्होंने बताया कि जिन पांच टोलों में विद्युतीकरण कार्य किया गया है वहां भी लोग बांस-बल्ले के सहारे ही विद्युत उपभोग कर रहे हैं. ममता देवी ने बताया कि फूस व प्लास्टिक के सहारे बनाये गये अपने आशियाने में किसी तरह जीवन व्यतीत करने को विवश हैं. इंदिरा आवास व शौचालय आदि तो दूर की कौड़ी नजर आती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें