नहीं मिल रही लागत की आधी कीमत भी
किशनगंज/ठाकुरगंज : बढ़ती लागत एवं गिरते दामों से इलाके के अनानास किसान परेशान हैं. हालात यह है कि किसानों को अपनी लागत से आधी रकम भी नहीं मिल रही. लगातार हो रहे घाटे से आर्थिक नुकसान झेल रहे किसान सरकारी रवैये से दुखी है. सबसे बुरी स्थिति उन किसानों की है जो सरकार के द्वारा […]
किशनगंज/ठाकुरगंज : बढ़ती लागत एवं गिरते दामों से इलाके के अनानास किसान परेशान हैं. हालात यह है कि किसानों को अपनी लागत से आधी रकम भी नहीं मिल रही. लगातार हो रहे घाटे से आर्थिक नुकसान झेल रहे किसान सरकारी रवैये से दुखी है. सबसे बुरी स्थिति उन किसानों की है जो सरकार के द्वारा अनारस की खेती के प्रोत्साहन के बाद लीज पर जमीन लेकर खेती शुरू की. उन्हाेंने कहा कि भू स्वामी को लीज की रकम देने की राशि भी नहीं मिल रही.
जिले में लगभग पांच हजार हेक्टेयर में अनारस की खेती हो रही है. 2011 से इस खेती को प्रोत्साहन की सरकारी नीति के कारण यह खेती लगातार बढ़ती तो गयी परंतु बाजार विकसित करने के मामले में राज्य सरकार विफल साबित हुई. कृषि विभाग के आंकड़ों को यदि मानें तो 2011 में 1500 हेक्टेयर भूमि पर अनारस की खेती होती थी. जो 2012 में बढ़ कर तीन हजार हेक्टेयर हो गयी.
इसी वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ठाकुरगंज दौरे के बाद उनके द्वारा इस खेती को प्रोत्साहित करने एवं बिहार में ही बाजार विकसित करने के वायदे के बाद खेती में और उछाल आया और अनारस की खेती पांच हजार का बाजार विकसित नहीं होने के अभाव में किसान अपनी फसल पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला के विधान नगर में बेचने को विवश रहे.
जहां वर्तमान में डेढ़ किलो अनारस की कीमत तीन रुपये से पांच रुपये तक की है. जबकि लागत 12 रुपये से 13 रुपये तक आ रही है. अनारस की खेती कर रहे चुरली के सुबोध शर्मा, बबलू तिवारी, पथरिया के प्रमोद साहा, जंगलभीट्टा के शुकरू भटिया, परिमल सिंह आदि ने बताया कि पहले तो बाढ़ से फसल बरबाद हुई जो फसल बची व कीमत नहीं मिलने से बरबाद हो रही है. किसानों ने कहा कि अनारस के भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है और सरकार की घोषणा के बावजूद प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना न होने के कारण किसान दलालों को औने पौने दामों में अनारस बेचने को विवश हैं.