बिना तपे आत्मा शुद्ध नहीं हो सकती : सपना दीदी

दशलक्षण के उपलक्ष्य में ब्रह्मचारिणी सपना दीदी 10 दिनों के मौन व्रत के साथ उपवास रख रही है, आठवा दिना पूरा, अनुमोदना में जुटे धर्मावलंबी व्रह्मचारिणी सपना दीदी के मौन सहित 10 दिनों के उपवास से प्ररेरित होकर जैन समाज के दो पुरूष और पांच महिलाएं भी 10 दिनों के उपवास की तपस्या में लीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2016 6:45 AM

दशलक्षण के उपलक्ष्य में ब्रह्मचारिणी सपना दीदी 10 दिनों के मौन व्रत के साथ उपवास रख रही है, आठवा दिना पूरा, अनुमोदना में जुटे धर्मावलंबी

व्रह्मचारिणी सपना दीदी के मौन सहित 10 दिनों के उपवास से प्ररेरित होकर जैन समाज के दो पुरूष और पांच महिलाएं भी 10 दिनों के उपवास की तपस्या में लीन है
किशनगंज : दशलक्षण (पर्यूषण) पर्व पर जैन धर्मावलंबी आस्था, उत्साह व समर्पण से लबरेज हैं. भजन-पूजन के जरिए सभी अपना कायाकल्प करना चाहते हैं. इसके मद्देनजर स्थानीय पारसनाथ भवन में परम पूज्य बालाचार्य श्री 108 कल्पवृक्ष नंदी जी महाराज के सानिध्य में विविध धार्मिक अनुष्ठान चल रहे हैं. इसी कड़ी में बह्मचारिणी सपना दीदी ने मौन रहकर 10 दिनों का उपवास व्रत रखा है.
ब्रह्मचारिणी सपना दीदी वैसे 6 बार दशलक्षण, 35 बार णमोकार मंत्र उपवास, 48 बार भक्तामार, 11 बार तत्वार्थ सूत्र, 11 सहस्त्रानाम, 25 बार सम्मेद शिखरजी और 44 बार कल्याण मंदिर उपवास कर चुकी है. महाराज श्री कल्पवृक्ष नंदी जी महाराज के 10 वर्षों के सानिध्य में ब्रह्मचारिणी सपना दीदी ने 6 पुस्तकें भी लिखी है जिसमें मुख्य रूप से ‘चंदन सी महक’ और ‘मेरा कहना मानों’ लोकप्रिय रहा. मौन रहने के कारण सपना दीदी ने लिखकर बताया कि पाप के क्षय के लिए जो कुछ किया जाता है उसे तप कहते है. सोना बिना तपे शुद्ध नहीं होता, बर्तन बना तपे नहीं पकते, फसल बिना तपे नहीं पकती, बिना तपे बादल भी नहीं बनते, इसी प्रकार बिना तपे आत्मा भी शुद्ध नहीं हो सकती. मोक्ष तप करने से ही प्राप्त होता है. आगे उन्होंने बतायी कि संयम अमूल्य रत्न है. यह साधना के आध्यात्मिक मार्ग में जितना आवश्यक है उतना ही कल्याणकारी भी है. परमार्थ दृष्टि से जैसा संयम साधा जा सकता है वैसा अन्य किसी भी उपाय से नहीं. उन्होंने बताया कि शास्त्रकारों ने इसके दो भेद किए है, पहला इंद्रिय संयम और दूसरा प्राणी संयम. संयम के बिना मोक्ष नहीं मिलता. बिना संयम आत्म उत्थान असंभव है. संयमित जीवन से ही मोक्षमहल की प्रथम सीढ़ी संयम संभव है. संयम आत्मा का धर्म है, जो आपके अंदर ही प्रकट होता है. यहां बता दें कि व्रह्मचारिणी सपना दीदी के मौन सहित 10 दिनों के उपवास से प्रेरित होकर जैन समाज के दो पुरूष और पांच महिलाएं भी 10 दिनों के उपवास की तपस्या में लीन है. 10 दिनों तक एक समय केवल जल पीकर 7 श्रद्धालुओं अपना उपवास व्रत रख रहे है. जिसमें दिलीप टोग्या, प्रतिभा चांदूवाड़,मोनिका काला, सोनिया काला, विजेता काला, पायल टोंग्या, शुभम काला शामिल है. इन व्रतियों ने दस दिनों का उपवास रख कर धर्म प्रभावना की अलख जगायी है. शाम को व्रतधारियों के सम्मान में जैन महिला समाज ने भजनों का कार्यक्रम कर इनके उपवास की अनुमोदना पूरे भक्तिभाव से की.

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