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जागरूकता से ही समाप्त हो सकते हैं सीओपीडी

छाती एवं श्वांस रोग विशेषज्ञ ने शिविर में सांस संबंधी बीमारी के बारे में दी जानकारी किशनगंज : दुनिया भर में पांचवां सबसे घातक रोग बन चुका है सीओपीडी. 30 मिलियन से अधिक जिंदगियों को प्रभावित करनेवाला सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग) को हमेशा धूम्रपान करने वालों का रोग माना जाता है. लेकिन अब नॉन […]

छाती एवं श्वांस रोग विशेषज्ञ ने शिविर में सांस संबंधी बीमारी के बारे में दी जानकारी

किशनगंज : दुनिया भर में पांचवां सबसे घातक रोग बन चुका है सीओपीडी. 30 मिलियन से अधिक जिंदगियों को प्रभावित करनेवाला सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग) को हमेशा धूम्रपान करने वालों का रोग माना जाता है. लेकिन अब नॉन स्मोकिंग सीओपीडी विकासशील देशों में एक बड़ा मामला बन चुका है. उक्त बातें शहर के जाने माने छाती एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डा शिव कुमार ने सीओपीडी पर आयोजित जागरूकता शिविर में कही. विश्व सीओपीडी दिवस पर अपने निजी क्लिनिक में पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री कुमार ने बताया कि सीओपीडी को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है.
सीओपीडी अब धूम्रपान नहीं करने वालों में भी देखा जा रहा है. दुनिया भर में करीब आधी जनसंख्या बायोमास इंधन के धुएं के संपर्क में आती है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में बायोमास के संपर्क में आना सीओपीडी का मुख्य कारण है, जिससे सीओपीडी के कारण मृत्यु दर ऊंची है. कम से कम एक चौथाई मरीज सीओपीडी से ग्रस्त है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है. डा शिव कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण की दृष्टि से दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित 20 में दस शहर भारत में है.
भारत के ग्रामीण इलाकों में श्वसन संबंधी रोगों से ग्रस्त 300 से अधिक मरीजों के विश्लेषण से पता चला है कि अपनी स्थिति के लिए उचित इलाज नहीं लेने वाले और लंबी अवधि तक अकेले ब्रोकोडायलेटर्स पर रहने वाले 75 प्रतिशत दम्माग्रस्त मरीजों का सीओपीडी जैसे लक्षण उभरे थे. डा शिव कुमार ने कहा कि सभी को मिल-जुल कर इसके प्रति समाज में जागरूकता लानी होगी और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इसके प्रति काम करने की आवश्यकता है. इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.

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