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आमजन को हो रही परेशानी पर नोटबंदी से सब संतुष्ट

दिघलबैंक : पांच सौ व एक हजार के नोट पर लगी पाबंदी से घर चलाने वाली गृहीणियों की परेशानियां अचानक से बढ़ गयी है. धीरे-धीरे घरों में रोजमर्रा की सामग्री के अभाव व बैंक तथा एटीएम में घंटों कतार में रहना परेशानी का सबब बन रहा है. हालांकि ये परेशानियां उनके साथ कम हैं जहां […]

दिघलबैंक : पांच सौ व एक हजार के नोट पर लगी पाबंदी से घर चलाने वाली गृहीणियों की परेशानियां अचानक से बढ़ गयी है. धीरे-धीरे घरों में रोजमर्रा की सामग्री के अभाव व बैंक तथा एटीएम में घंटों कतार में रहना परेशानी का सबब बन रहा है. हालांकि ये परेशानियां उनके साथ कम हैं जहां पुरुष साथ हैं. उनके घरेलू सामान घर के पुरुष व बच्चे ले आते हैं. गृहीणियां जिनके परिजन परदेश में रहते हैं या रोजाना की मजदूरी व व्यवसाय पर आश्रित हैं, उनकी स्थिति खराब हो रही है.

रोजगार पर आश्रितों की आमदनी नोटबंदी से चरमरा गयी है. वहीं परदेस में काम करने वालों को पैसा घर भेजना तथा गृहणियों को एटीएम अथवा एकाउंट से पैसा निकालना एक बड़ी चुनौती बन गयी है. गुरुवार को दिघलबैंक हाट में खरीदारी करने आयी गृहीणियों से प्रभात खबर ने नोटबंदी से उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जब पूछा तो बड़ी ही बेबाकी से इन गृहीणियों ने अपनी बातें रखी नुसरत खातून ने कहा कि नोटबंदी का उन पर कोई खासा प्रभाव नहीं पड़ा है.

उसके पति बैंक से पैसे ले आये और अभी तक उसी पैसे से घर चल रहा है, हम लोग तो आम आदमी है इस फैसले से हम लोगों के जीवन पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. वहीं मंझली मुर्मू ने बताया कि वह मजदूरी पर आश्रित है. बाजार में काम भी नहीं मिल रहा. लोग पैसे के अभाव में काम कराना बंद करा रहे हैं जिससे स्थिति नाजुक हो गयी है. फिर भी थोड़ी बहुत जो कमाई होती है उसी से घर चल रहा है. जानकी देवी के पति पंजाब में काम करते हैं, अभी तक सब कुछ ठीक ठाक है. पाबंदी वाले नोट उनके रिश्तेदारों ने बदलवा दिये हैं, वो कहतीं है कि यही स्थिति रही तो कुछ दिनों में हमारे हालात भी खराब हो जाएंगे. लेकिन परेशानी तो धनवानों की बढ़ गयी है. आसमां खातून ने बताया कि उसका बेटा कश्मीर में कमाता है. उसने अकाउंट में पैसे भेजे हैं. बैंको में भीड़ के कारण वह पैसा निकालने नहीं जा रही है लेकिन सरकार ने ये बढ़िया काम किया है. रीना देवी ने कहा कि उसका पति राजमिस्त्री है मकान बनाने वाले ने तत्काल काम बंद करा दिया है. पहले के जमा पैसे खत्म हैं. किसी तरह जीवन बसर कर रहें हैं ये कुछ दिनों की बात है धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा. नाज़िया खातून ने बताया कि उसका पति फेरी लगाता है बाजार में खुदरा पैसों की कमी है. लोग पांच सौ व हजार का नोट दिखा सामान खरीदना चाहते हैं. मजबूरी में कई दिनों से फेरी करना बंद कर दिया है जिससे परेशानी बढ़ गयी है. गुलशन ने बताया कि अब धीरे-धीरे बाजार में पैसा आ रहा है. हालांकि एटीएम में लाइन लगती है मगर लोग महिलाओं को विशेष लाइन से पहले पैसा निकालने का मौका दे रहे हैं रोजमर्रा की सामग्री व विशेषकर साग-सब्जी खरीदारी में कुछ परेशानी है, मगर परेशानी का समाधान भी हो रहा है,धीरे-धीरे सब सामान्य हो जायेगा.

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