11 माह से सेविका को नहीं मिला मानदेय
दिघलबैंक : महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को वेतन के लाले पड़े हुए हैं. प्रखंड में 11 माह से आंगनबाड़ी सेविका व छह माह से सहायिकाओं को मानदेय नहीं मिला है, जिस कारण ये सभी भूखमरी की कगार में पहुंच गये हैं. विभाग के अधिकारी वर्ग को प्रतिमाह समय […]
दिघलबैंक : महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को वेतन के लाले पड़े हुए हैं. प्रखंड में 11 माह से आंगनबाड़ी सेविका व छह माह से सहायिकाओं को मानदेय नहीं मिला है, जिस कारण ये सभी भूखमरी की कगार में पहुंच गये हैं. विभाग के अधिकारी वर्ग को प्रतिमाह समय पर वेतन मिल रहा है. बताया जा रहा है कि मानदेय वितरण के लिए लागू की गयी नयी नीति जी का जंजाल बन गया है. राशि नहीं मिलने से सेविका-सहायिकाओं के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया. प्रत्येक माह लाखों रुपए मानदेय वितरित होता है. मगर इन कर्मियों को मानेदय कब तक मिलेगा, इसका जवाब स्थानीय अधिकारियों के पास भी नहीं है. प्रखंड में दो प्रकार की आंगनबाड़ी संचालित हैं, एक बड़ी व दूसरी मिनी केंद्र है.
11 माह से नहीं मिला मानदेय : आंगनबाड़ी सेविका का 11 माह से और सहायिकाओं को छह माह से वेतन नही मिल पाया है. आंगनबाड़ी सेविकाओं को 3000 रुपये तथा सहायिका को 1500 रुपए मानदेय है. इतने माह बीत जाने के बाद भी अभी तक मानदेय का वितरण नहीं हुआ है. इससे उन्हें परिवार चलाने में परेशानी हो रही है.
क्यों हो रही देरी : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने बताया कि ग्लोबल बजट में राशि आने पर मानदेय मिलता है. बजट में राशि आने के बाद कार्यकर्ता व सहायिकाओं को वेतन ई-पेमेंट के माध्यम से किया जाता है. जिले से प्रत्येक कार्यकर्ता व सहायिकाओं के बैंक खाते में सीधे राशि भेजी जाती है, जबकि पूर्व में स्थानीय महिला बाल विकास विभाग के कार्यालय से कार्यकर्ता व सहायिकाओं को मानदेय उपब्लध कराया जाता था. वर्तमान में मानदेय वितरण में लेटलतीफ हो रही है.
सेविकाओं के सामने आर्थिक संकट
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ की अध्यक्षा शहनाज फातिमा ने बताया कि वेतन का भुगतान नही होने से सेविका व सहायिकाओं के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. विभाग इस ओर ध्यान दे कर जल्द मानदेय का भुगतान करें. अन्यथा मजबूरन सेविका-सहायिकाओं को सड़क पर उतरना पड़ेगा.