कारोबारियों को सफेदपोशों का संरक्षण

विवाद . किशनगंज व सीमांचल के कई जिलों में बदस्तूर चल रहा है कोयले का अवैध कारोबार किशनगंज : काला हीरा कहे जाने वाले कोयले का कारोबार भी उसी तरह काला है, जितना कोयले का काला साम्राज्य. उसके इस कारोबार के काले साम्राज्य को सफेदपोशों का विशेष संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते कोयला माफिया बेफिक्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2017 6:37 AM

विवाद . किशनगंज व सीमांचल के कई जिलों में बदस्तूर चल रहा है कोयले का अवैध कारोबार

किशनगंज : काला हीरा कहे जाने वाले कोयले का कारोबार भी उसी तरह काला है, जितना कोयले का काला साम्राज्य. उसके इस कारोबार के काले साम्राज्य को सफेदपोशों का विशेष संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते कोयला माफिया बेफिक्र होकर अपना कारोबार चला रहे हैं. इन दिनों किशनगंज जिले के अलावा सीमांचल के कई जिलों के विभिन्न ईंट भट्ठों में काला हीरा का अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है. इस काले कारोबार से माफिया गाढ़ी कमाई कर रहे हैं. सक्रिय माफिया असम राज्य से कोयला का उठाव करा कर सीमांचल के कई ईंट भट्टों में सप्लाई कर रहे हैं. प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद किशनगंज एवं अररिया, पूर्णिया
कटिहार क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहा कोयले का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा. दूसरे शब्दों में कहा जाो, तो अवैध रूप से कोयला असम से लाकर सीमांचल के विभिन्न जिलों के ईंट भट्टा सबसे सेफ जोन बना हुआ है. कोयला माफिया बड़ी आसानी से असम से बंगाल होते बिहार में प्रवेश कर जाते हैं. बिहार के अधिकांश ईंट भट्टा मालिक अपने भट्टे के लिए असम के कोयले की बुकिंग कराते हैं. जब कोयला बंगाल तक आ जाता है तब पानी टंकी होते ठाकुरगंज, बहादुरगंज एवं अररिया के रास्ते एनएच 327 ई और पांजीपाड़ा से किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार एवं भागलपुर के ईंट भट्टों पर लाया जाता है. ट्रक जिस समय बिहार की सीमा में प्रवेश करता है,
उस वक्त उस अवैध कोयले की गाड़ी को सीमा में सुरक्षित प्रवेश कराने के लिए मुखबिर चक्करमारी और पांजीपाड़ा के अलावा किशनगंज में मौजूद रहते हैं. लेकिन इन सबों का मुख्य सरगना दालकोला में बैठ कर निर्देश देते रहते हैं. इसके एवज में वे गाड़ी चालकों से अच्छा खासा रकम वसूलते हैं. मालूम हो कि अनुमंडल पदाधिकारी मो शफीक आलम और एसडीपीओ कामिनी बाला ने गत माह अलग-अलग कार्रवाई में दर्जनों कोयला लदे ट्रक को जब्त कर माफियाओं की कमर ही तोड़ दी थी. इसके बाद फिर कोयले की धर-पकड़ अभियान रूक सी गयी. इन दिनों कोयला माफिया फिर से सक्रिय हो गये हैं.
क्या कहते हैं माइनिंग पदाधिकारी
माइनिंग पदाधिकारी मतिउर रहमान से जब इस संबंध में मोबाइल से जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने यह कह कर बात टाल दिया कि अभी व्यस्त है बाद में बात करते है. इसके बाद फिर उनका नंबर नॉट रिचेबल हो गया.

Next Article

Exit mobile version