धारा बदल रही कनकई नदी
अवैध निर्माण व नदी में कचरा फेंकने के कारण नदी की गहराई हो गयी है कम दिघलबैंक : नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में हर साल बाढ़ आती है और अपने साथ लाती है भयानक तबाही. हर साल सैकड़ों लोग बेघर होते हैं. किसान की फसल हो या सड़कें व पुल-पुलिया के अलावे लोगों को […]
अवैध निर्माण व नदी में कचरा फेंकने के कारण नदी की गहराई हो गयी है कम
दिघलबैंक : नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में हर साल बाढ़ आती है और अपने साथ लाती है भयानक तबाही. हर साल सैकड़ों लोग बेघर होते हैं. किसान की फसल हो या सड़कें व पुल-पुलिया के अलावे लोगों को आर्थिक क्षति भी होती है. प्रखंड में कनकई, बूढ़ी कनकई, मरिया कनकई नदियों के कहर से लोग काफी त्रस्त हैं.
क्या है कारण : भौगोलिक रूप से बिहार की तुलना में नेपाल काफी ऊंचाई पर बसा हुआ है जहां के पहाड़ी इलाकों में होने वाली मूसलाधार बारिश के कारण नदियों में पानी भर जाता है और देखते ही देखते प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में पानी ही पानी नजर आता है. नदिया के कछार में बसे दर्जनों गांव व उपजाऊ भूमि को अपने आगोश में समा लेता है. ताराबाड़ी के समीप मिरभिट्टा में भी कनकई अपनी असली प्रवाह से अलग होकर बहने के प्रयास में है जिस कारण वहां कटाव का खतरा मंडराने लगा है. कमोबेश यही हालत अन्य दूसरी जगहों पर भी है.
अवैध खनन भी बड़ा कारण है : बढ़ती जनसंख्या और तेजी से हो रहे निर्माण कार्य भी इस तरह की समस्या का प्रमुख कारण है. इसके अलावा प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है क्योंकि कूड़ा कचड़ा डंपिंग की वयवस्था नहीं होने से सभी कचड़ा नदियों में ही डाला जा रहा है. इसके अलावे भी कई ऐसे कारण हैं जो नदियों की गहराई को समाप्त करती जा रही है.
कटाव रोधी कार्य करने की मांग : ग्रामीणों ने बताया कि ग्वालटोली पथरघट्टी गांव में कनकई नदी का कटाव के कारण पथरघट्टी पंचायत के पतन का कारण बनते जा रहा है. कई गांव नदी में विलीन हो चुके हैं. इस साल आयी बाढ़ में दर्जनों परिवार विस्थापित हो चुके हैं, जिसका सब कुछ नदी में विलीन हो गया. लोग उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं. 2016 में आयी बाढ़ में नदी का स्थिति और अधिक भयावह हो चुकी थी, जिसका तांडव ग्वालटोली पत्थरघट्टी, गोवबाड़ी, बेलबाड़ी, दोदरा, कमरखोद गांव के हजारों परिवार ने झेला है.
नदी ने बदली धारा तो नहीं बचेगा पत्थरघट्टी पंचायत का अस्तित्व : कनकई नदी के निकट पूरब दिशा में बरसाती नदी एवं चौन जमीन है. यदि नदी चौन में समा गयी तो बरसाती नदी में कनकई नदी की धार परिवर्तन हो जायेगा और बरसाती नदी के किनारे दर्जनों गांव, स्कूल, सड़क इत्यादि एक साथ ही नदी में विलीन हो जायेंगे.
नहीं है कोई योजना : नदियों के जीर्णोद्धार और उसके प्रवाह को दुरुस्त करने की कोई योजना जमीन पर नहीं दिखती लिहाजा नदियों के अस्तित्व ही खतरे में है.