नाव परिचालन में मानकों का रखें ख्याल
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सलाह . राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव यूके चौबे ने डीएम को लिखा पत्र
बिना अनुज्ञप्ति के नहीं चला पायेंगे नाविक नाव
नाविकों द्वारा अज्ञानतावश एवं अधिक मुनाफे के लिए क्षमता से अधिक माल व सवारी लाद लिये जाते हैं
नाव न्यूनतम सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित हो
नाव की भलीभांति रखरखाव हो
किशनगंज : सूबे में हाल के दिनों में कई छोटी-बड़ी नाव दुर्घटनाएं हुई है़ं, जिसमें अधिकांश दुर्घटना मानवीय लापरवाही के कारण हुई है़ भविष्य में नाव दुर्घटना की रोकथाम के लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव यूके चौबे ने सभी जिला पदाधिकारी को पत्र जारी कर जरूरी सलाह के साथ ही सुरक्षित नौका परिवहन हेतु बंगाल नौ घाट अधिनियम 1885 के अधीन आदर्श नियमावली 2011 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने को कहा है़
उल्लेखनीय है कि परिचालित होने वाली अधिकांश नौकाएं पारंपरिक बनावट की लकड़ी की देसी नाव होती है और अनावृत होती है़ साथ ही अज्ञानतावश एवं अधिक लाभ अर्जित करने के लिए नाविकों द्वारा भी क्षमता से अधिक माल वाहन, सवारी वाहन किया जाता है़ इसकी वजह से जोखिम की संभावना काफी बढ़ जाती है तथा दुर्घटना की स्थिति में जान माल की क्षति होती है़ आपदा प्रबंधन के अंतर्गत नौका परिवहन के क्रम में अपेक्षित सुरक्षा के लिए आवश्यक है
कि नावों की भलीभांति रख रखाव हो और वे जीवन रक्षा के न्यूनतम सुरक्षा उपकरणेां से सज्जित हो़ं साथ ही यह भी आवश्यक है कि उनका नियमित प्रशासनिक निरीक्षण हो साथ ही नाविकों तथा सवारियों को नियमित अंतराल पर जोखिम एवं उनसे बचाव के संबंध में जागरूक किया जाये़
नाव अनुज्ञप्ति की शर्तें
बंगाल फेरी अधिनियम 1885 में प्रावधान है कि किसी नाव के संदर्भ में अनुज्ञप्ति की मंजूरी नहीं दी जायेगी जब तक कि नाव का सर्वेक्षण नाव सर्वेक्षक द्वारा नहीं कर लिया गया हो और वह स्वयं यह संतुष्ट कर लिया हो कि निम्नांकित शर्तें पूरी कर ली गयी हो यथा नाव अच्छी हालत में है और माल एवं यात्री ढोने हेतु उपयुक्त है और इन नियमों के अनुरूप है़ बंगाल फेरी अधिनियम 1885 के नियम 22 के उपनियम 4 के तहत विहित तरीके से नाव का लदान निर्धारित किया गया है़
ऐसे नाव के सुरक्षित परिचालन के लिए वांछित चालक दल की संख्या विहित मापदंड के अनुरूप हो़ ऐसे नाव में जमा पानी को पंप करने, उलीचने अथवा अन्य रीति से निष्कासन के लिए पर्याप्त उपकरण और सुरक्षित नौकायन के लिए कारगर जमीनी उपाय एन्करिंग तथा अन्य उपकरण उपलब्ध है़
बंगाल फेरी अधिनियम 1885 के नियम 23 के उपनियम 2 में विहित तरीके से पूरी क्षमता से लदी नाव के मुक्तांश का निर्धारण किया गया है़