भूमिहीन आदिवासियों के बीच बकरी वितरित
किशनगंज : डांगी बस्ती सुहागी मध्य विद्यालय में नाबार्ड एवं सम्मान फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बाडी परियोजना के तहत भूमिहीन आदिवासी परिवार के सदस्यों के बीच बकरी वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन नाबर्ड के डीडीएम सावन प्रकाश द्वारा किया गया. इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में जिला अग्रणी प्रबंधक रामाधार पासवान […]
किशनगंज : डांगी बस्ती सुहागी मध्य विद्यालय में नाबार्ड एवं सम्मान फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बाडी परियोजना के तहत भूमिहीन आदिवासी परिवार के सदस्यों के बीच बकरी वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन नाबर्ड के डीडीएम सावन प्रकाश द्वारा किया गया. इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में जिला अग्रणी प्रबंधक रामाधार पासवान एवं सम्मान फाउंडेशन के जिला समन्वयक एवं उनकी टीम ने भाग लिया.
कार्यक्रम के उद्घाटन संबोधन में डीडीएम सावन प्रकाश ने वाडी कार्यक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि नाबार्ड द्वारा बागान आधारित कृषि व्यवस्था जिसे वाडी के नाम से जाना जाता है के द्वारा आदिवासी परिवार के समग्र विकास तथा उनकी आजीविका को बढ़ावा देने हेतु आदिवासी विकास कार्यक्रम संस्वीकृत किया गया है. इसी के तह जिले के पोठिया प्रखंड में सम्मान फाउंडेशन के माध्यम से कुल 550 आदिवासी परिवार के समेकित विकास हेतु वाडी परियोजना की स्वीकृति की गयी है. इस परियोजना के तहत 500 आदिवासी परिवार के 1 एकड़ जमीन पर उद्यान आधारित पौधों जैसे कि आम,
अमरूद एवं अनार तथा लकड़ी आधारित पौधों गम्हार, सागवान, बांस लगा कर दीर्घकालिक आय को सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही इसी खेत में सब्जी की खेती के माध्यम से वर्तमान आय को भी सुनिश्चित किया जायेगा. इसके अतिरिक्त 50 भूमिहीन आदिवासी परिवारों के बीच बकरी पालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जायेगा. इसी क्रम में डीडीएम ने बताया कि पोठिया में ऐसे 550 आदिवासी परिवार का बेसलाइन सर्वे पूरा कर लिया गया है एवं आगामी मई-जून 2017 के दौरान पहले चरण में 250 परिवारों के एक एकड़ जमीन पर फल एवं लकड़ी आधारित पेड़ों को लगा दिया जायेगा. इस कार्यक्रम के पहले चरण में 50 भूमिहीन आदिवासी परिवारों के बीच बकरी वितरण किया गया है. जिला अग्रधी प्रबंधक रामाधान पासवान ने नाबार्ड एवं सम्मान फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि यह आदिवासी परिवारों केबीच वर्तमान एवं दीर्घकालिक आय सुनिश्चित कराने का अनोखा प्रयास है.