ठाकुरगंज(किशनगंज). मुख्य रेल सुरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) ने अररिया-गलगलिया नई लाइन परियोजना के पौआखाली और ठाकुरगंज स्टेशनों के बीच 23.242 किलोमीटर बिछाई गई नई रेलवे लाइन का वैधानिक निरीक्षण पूरा करने के बाद इस सेक्शन को चालू करने की मंजूरी दे दी है. 12 जून को हुई सीआरएस जांच के बाद इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन के लिए हरी झंडी दी गई है.
बताते चले यह परियोजना पूसी रेलवे के कटिहार मंडल के अधीन है. यह नवनिर्मित बड़ी लाईन को चिकेन नेक हिस्से में मौजूदा रेलवे नेटवर्क को और अधिक मजबूत करने तथा उस हिस्से में पूरे रेलवे परिचालन की दक्षता में सुधार करने की प्राथमिक उद्देश्य से चालू किया गया है. यह नई बिछाई गई रेलवे लाइन इस मार्ग से पूर्वोत्तर क्षेत्र की ओर और अधिक माल एवं यात्री परिवहन ले जाने में सहायक होगी.सीमांचल के लिए गेम चेंजर साबित होगी यह योजना
अररिया-गलगलिया नई लाइन परियोजना 110.75 कि.मी. की है, जिसमें 23.242 कि.मी. रेलवे लाईन पौआखाली स्टेशन से वाया कादोगांव हॉल्ट, भोगडाबर हॉल्ट होकर ठाकुरगंज स्टेशन तक चालू की गई है. नई रेल लाइन बिहार के पूर्वी हिस्से को कवर करेगी. यह परियोजना सेक्शनों की भीड़ कम करने में मदद करेगी और इस प्रकार पौआखाली-ठाकुरगंज सेक्शन में ट्रेन सेवाओं की सुचारू आवाजाही होगी. इस परियोजना से आस-पास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा. इससे उक्त क्षेत्र में अधिक संख्या में ट्रेनों की आवाजाही शुरू करने में भी मदद मिलेगी, जिससे इस अंचल के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. ईंधन की बचत और यात्रा समय में कमी के अलावा परिवहन लागत कम होने से आसपास क्षेत्रों के आर्थिक परिदृश्य में भी काफी सुधार होगा. माल परिवहन भी सस्ता हो जाएगा.पौआखाली में अत्याधुनिक स्टेशन का हुआ निर्माण
यात्री सुविधाओं को जोड़ते हुए पौआखाली और ठाकुरगंज दोनों स्थानों पर 3 मीटर चौड़ा नया फुट ओवर ब्रिज, प्रतीक्षालय एवं नए यात्री प्लेटफार्म शेड और पौआखाली में 3 पुरुष एवं 2 महिला शौचालय तथा ठाकुरगंज में 2 पुरुष एवं 2 महिला शौचालय का निर्माण किया गया है. इसके अतिरिक्त स्टेशनों पर यात्रियों के लिए पेयजल की सुविधा भी प्रदान की गई है. ट्रेनों में यात्रियों के चढ़ने और उतरने में आसानी के लिए ऊंचे प्लेटफार्मों का निर्माण किया गया है.51 पुलों का हुआ निर्माण
बताते चले इस सेक्शन में 01 महत्वपूर्ण पुल, 08 बड़े पुल और 01 बड़ा रोड अंडर ब्रिज और 43 छोटे पुल हैं.18 साल बाद पूर्ण हुआ प्रोजेक्ट का एक हिस्सा
पूर्वोत्तर भारत को सीमांचल-मिथिलांचल के रास्ते दिल्ली और अन्य राज्यों से जोड़ने वाली इस परियोजना को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने वित्त वर्ष 2006-07 के बजट में स्वीकृति दी थी. 24 वर्ष पूर्व घोषित इस प्रोजेक्ट का काम इतना धीमा रहा कि 18 साल में भी संतोषजनक काम नहीं किया जा सका. इस प्रोजेक्ट को मार्च 2011 तक इसे पूरा कर लिया जाना था. जानकारी अनुसार इस प्रोजेक्ट की लागत पूर्व में 530 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 2145 करोड़ रुपये हो गई है.
क्या फायदा होगा इस रेल लाइन का
किसी आपदा के समय यदि बरौनी-कटिहार-एनजीपी रेल रूट बंद रहता है तो देश के शेष भाग से पूर्वोतर का सम्पर्क बना रहे इसके लिए अररिया-गलगलिया रेल लाइन का निर्माण काफी महत्व पूर्ण है. हाल के दिनों में अब तक दर्जनों बार विभिन्न कारणों से बाधित हुई रेल सेवा के दौरान लोगों के जेहन में तो यह सवाल गूंजता है कि सरकार क्यों नहीं विकल्प के रूप में गलगलिया-अररिया नई रेल लाइन को प्राथमिकता देते हुए इसे जल्द पूरा करती है. परन्तु रेल अधिकारियों और विभिन्न सम्बंधित अधिकारियों के जेहन में क्यों नहीं यह बात आती है. बताते चले लगभग 101 किमी लम्बी इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद यह मार्ग सिलीगुड़ी-ठाकुरगंज होते हुए अररिया-फारबिसगंज मुज्जफरपुर, दरभंगा, लखनऊ, मुरादाबाद होते हुए दिल्ली से जुड़ जाएगा. यह मार्ग वर्तमान के एनजीपी-कटिहार-बराैनी- पटना-मुगलसराय-लखनऊ-मुरादाबाद के बनिस्पत 50 किमो तक कम हो जायेगी. और तो और देश को पूर्वोतर से जुड़ने का एक वैकल्पिक रास्ता भी मिलेगा. परन्तु रेलवे इस परियोजना में कोई रूचि लेता नहीं दिख रहा. शिलान्यास के दस साल बीतने के बाबजूद अब तक इस परियोजना के लिए जमीन तक रेलवे अधिग्रहण नहीं कर सका. अब जब लगातार सीमा पर हालात तनाव पूर्ण हो और पूर्वोतर का रेल संपर्क हमेशा बाधित हो जाता हो तब इस परियोजना का महत्व रेलवे को समझना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है