जागरूकता के अभाव में बढ़ रहें हैं अस्थमा रोगी,इसे हल्के में नहीं लें

अस्थमा यानी दमा श्वास से संबंधित बीमारी है जो दुनियाभर में तेजी से लोगों का प्रभावित कर रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 6, 2024 10:39 PM

किशनगंज.आज विश्व अस्थमा दिवस है.हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को अस्थमा को लेकर पूरी दुनियां को जागरूक किया जाता है. अस्थमा के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और समस्या में जड़ से उखाड़ने के उद्देश्य से इस दिन का खास महत्व है.इसका उद्देश्य दुनिया भर में अस्थमा के प्रति शिक्षा और प्रबंधन को बढ़ावा देना भी है.अस्थमा यानी दमा श्वास से संबंधित बीमारी है जो दुनियाभर में तेजी से लोगों का प्रभावित कर रही है.

पुरुषों से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं इस मर्ज से परेशान, समय रहतें कराएं इलाज

विश्व अस्थमा दिवस की पूर्व संध्या पर जिले के जाने मानें चिकित्सक डॉ.शिव कुमार ने फरिंगोला स्थित आशीर्वाद नर्सिंग होम में प्रभात खबर से भेंट वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि देश भर में डायबिटीज और हृदय रोग के अनुपात में ही अस्थमा के करीब 03 करोड़ से अधिक मरीज हैं.जो दुनियां के कुल अस्थमा पीड़ित का 10 प्रतिशत है.

एक रिपोर्ट के अनुसार,भारत में एक बड़ी आबादी अस्थमा से पीड़ित हैं,जिनमें बच्चे और वयस्क भी शामिल हैं.इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जागरूकता के अभाव में लोग इस बीमारी से बाहर नहीं निकल पाते हैं.अस्थमा सिर्फ बुजुर्गों को नहीं, बल्कि युवाओं और नौजवानों को भी घेर रहा. इसका प्रमुख कारण एलर्जी है.इसकी चपेट में आने वाले में अधिकतर महिलाएं हैं. रोग से बचने के लिए खुद ही सावधानी बरतने की जरूरत है.पिछले कुछ वर्षों में अस्थमा के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.अब तो हर उम्र के लोग अस्थमा रोग की चपेट में आ रहे हैं.

ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

व्यायाम के बाद खांसी, सांसों की कमी,नियमित खांसी,घबराहट,छाती में जकड़न,सोने में परेशानी. अस्थमा होने का प्रमुख लक्षण एलर्जी,धूम्रपान, प्रदूषण,मोटापा,तनाव भी इसका कारण हो सकता है. यह एक श्वसन संबंधी रोग है, जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है,सीने में दबाव महसूस होता है और खांसी भी होती है.ऐसा तब होता है,जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है. ये रुकावट एलर्जी( प्रदूषित हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है.कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है.

अस्थमा को लेकर चुनौतियां: डॉ शिव कुमार

अस्थमा से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसे पहचानने में लोगों को वक़्त लगता है और वो इस बीमारी से निपटने के लिए घरेलू नुस्ख़े अपनाते रहते हैं. इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता भी कमी है. ऐसे में अस्थमा के मामले ज़्यादा हैं क्योंकि अभी भी लोगों को इस बीमारी के बारे में ज्ञान नहीं है.अस्थमा के शिकार मरीज़ों को सलाह देते हैं कि वे धूल से बचें,प्रदूषण के दौरान मास्क का इस्तेमाल करें और मौसम बदलने से पहले दवा लेना शुरू कर दें और हमेशा इन्हेलर रखें.अस्थमा बचपन से लेकर बुढ़ापे में कभी भी हो सकता है और कई कारण होते हैं,जो मरीज़ के शरीर पर अधिक प्रभाव डाल सकते हैं.

इन्हेलर है कारगर उपाय

टेबलेट्स और सिरप के अधिक उपयोग से लोग अस्थमा के साथ-साथ दूसरे रोगों से भी पीड़ित हो जातें हैं इसमें इन्हेलर काफी कारगर है.और अपने देश में ये इन्हेलर उचित कीमत पर हर जगह उपलब्ध है.

मजबूत इच्छा शक्ति जरूरी है

आज कई राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और सिने जगत के लोग भी अस्थमा से पीड़ित होते हुए बेहतर कर रहें हैं क्योंकि वे सभी इन्हेलर का सही उपयोग कर,इस पर नियंत्रण कर गोल्ड मेडल तक जीत चुके हैं.

खास है इस बार का थीम

इस बार विश्व अस्थमा दिवस की थीम है जागरूकता और सशक्तीकरण.अगर किसी को अस्थमा है तो उसे नियंत्रित करने के उपायों को लेकर जागरूक रहना चाहिए.आमतौर पर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए इनहेलर और कुछ दवाएं दी जाती हैं.लेकिन,इसे कब, कैसे और कितना लेना है, यह भी जानना आवश्यक है. दूसरा,अगर किसी व्यक्ति में अस्थमा के लक्षण उभर रहे हैं तो उसकी जांच और उपचार को लेकर भी जागरूक रहने की आवश्यकता है.

अस्थमा से बचाव के लिए क्या करें

अपने पास हमेशा प्रिवेंटर इनहेलर रखना चाहिए और इसका इस्तेमाल करें. खासकर ड्राइव करने के समय और अकेले रहने पर अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें.भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.प्रदूषित जगहों पर बिल्कुल न जाएं.घर से निकलें तो मास्क पहनकर निकलें. खानपान पर विशेष ध्यान दें.अपनी डाइट में उन चीज़ों को जरूर जोड़ें, जो विटामिन-सी युक्त हो.पानी भी अधिक मात्रा में पीएं.

सही खानपान अपनाएं,धुएं से रहें दूर

कंप्यूटर से फेफड़े की जांच जिसको स्पायरोमेट्री भी कहते हैं उसे कराएं.स्पायरोमेट्री या पीएफटी (पलमोनरी फंक्शन टेस्ट) से फेफड़ों की कार्य क्षमता का सही-सही आकलन लगाकर इनहेलर द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जाता है.डिब्बा-बंद खाद्य पदार्थो का कम से कम प्रयोग,ठंडा तीखा व मसालेदार भोजन को कम खाने,परफ्यूम इत्यादि से परहेज रखने, धूम्रपान,अल्कोहल से परहेज रखने,तथा घर में रोएदार पालतू जानवरों को न पालने तथा प्रतिदिन प्राणायाम व व्यायाम करने से वह नियमित इन्हेलर व दवाई लेने से इसे पूरी तरह से काबू में रखा जा सकता है.अस्थमा के लक्षणों से जागरूक होकर,धूल एवं प्रदूषण से सुरक्षित रख तथा इन्हेलर का नियमित उपयोग कर ही अस्थमा पर विजय प्राप्त किया जा सकता है.सबसे ज्यादा अहम है संयमित और संतुलित दिनचर्या जिसमें योग और प्राणायाम का समावेश हो.

फोटो 1डॉ शिव कुमारवरिष्ट चिकित्सक सह विभागाध्यक्ष टीबी एवं चेस्ट एमजीएम मेडिकल कॉलेज,किशनगंज.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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