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चैन की सांस लेगा बचपन, जब तुरंत पहचानेंगे निमोनिया के लक्षण

मौसम में लगातार उताच-चढ़ाव हो रहा है. ऐसे मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 25, 2024 10:40 PM

किशनगंज. मौसम में लगातार उताच-चढ़ाव हो रहा है. ऐसे मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. निमोनिया से ज़्यादातर छोटे-छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं. हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. फेफड़ों में इंफेक्शन होने कारण ही निमोनिया जैसी बीमारी होती है. जिसका मुख्य कारण सांस लेने में दिक्कत होना है. अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है. यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है. आमतौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है. सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है. निमोनिया का प्रारंभिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है. निमोनिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है. इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है. इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है.

बच्चों को पीसीवी का टीका दिलवाना आवश्यक

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं. वर्तमान में अस्पताल में कोई भी ऐसा मरीज नहीं आया है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं. जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती. इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है. इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है. इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध निःशुल्क पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं. बच्चे को जन्म के बाद दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए. इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है. साथ ही वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है.

निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण बुखार के साथ पसीना एवं कपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना ( जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना), होठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों की परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है. निमोनिया की शुरुआत आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है. जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तो तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती . सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में बहुत दिक्कत हो सकती है.

निमोनिया से बचाव के उपाय

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि वैसे तो निमोनिया से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण ही है. यह एक सांस संबंधी बीमारी है. इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो. इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.

निमोनिया प्रबंधन को लेकर सांस कार्यक्रम की भूमिका अहम

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों में होने वाली बीमारी निमोनिया के प्रबंधन को लेकर 2019 के नवंबर महीने से सांस (निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से तीन तरह के रणनीति यथा- उपचारात्मक प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता का कौशल क्षमता का निर्माण करना एवं प्रसार-प्रचार अभियान का सामुदायिक एवं संस्थान स्तर पर आयोजनों को शामिल किया गया है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य माता-पिता एवं देखभाल करने वाले अभिभावकों के बीच निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण एवं देखभाल, प्रबंधन, सुरक्षात्मक उपाय, रोकथाम, रेफरल एवं उपचार जैसे मुख्य बिंदुओं पर समुदाय एवं संस्थान में जागरूकता पैदा करने के साथ ही पीसीवी टीकाकरण को भी बढ़ावा देना है.

इन लक्षणों के नजर आने पर बच्चों को ले जायें अस्पताल

तेज सांसों का चलनाछाती में दर्द की शिकायतथकान महसूस होनाभूख में कमी आनाअतिरिक्त कमजोरी

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