चैन की सांस लेगा बचपन, जब आप तुरंत पहचानें निमोनिया के लक्षण, निमोनिया नहीं तो बचपन सही: सीएस

मौसम में लगातार उताच-चढ़ाव हो रहा है. ऐसे मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. निमोनिया से ज़्यादातर छोटे-छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 5, 2024 8:16 PM

बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर रहें सतर्क

बच्चों को पीसीवी का टीका दिलवाना आवश्यक

किशनगंज.मौसम में लगातार उताच-चढ़ाव हो रहा है. ऐसे मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. निमोनिया से ज़्यादातर छोटे-छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं. हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. फेफड़ों में इंफेक्शन होने कारण ही निमोनिया जैसी बीमारी होती है. जिसका मुख्य कारण सांस लेने में दिक्कत होना है. अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है. यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है. आमतौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है. सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है. निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है. निमोनिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है. इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है. इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है.

बच्चों को पीसीवी का टीका दिलवाना आवश्यक

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं. वर्त्तमान में अस्पताल में कोई भी ऐसा मरीज नही आया है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं. जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती. इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है. इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है. इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध निःशुल्क पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं. बच्चे को जन्म के बाद दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए. इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है. साथ ही वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है.

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