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जिले में आईपीएल के खेल में सट्टे का बाजार गर्म

क्रिकेट के बेजान गेंदों में इन दिनों जिले के युवा अपनी किस्मत ढूंढ रहें है.और इस चक्कर में पड़ कर वो अपनी मेहनत की कमाई लगातार गवां रहें है.

किशनगंज.क्रिकेट के बेजान गेंदों में इन दिनों जिले के युवा अपनी किस्मत ढूंढ रहें है.और इस चक्कर में पड़ कर वो अपनी मेहनत की कमाई लगातार गवां रहें है.इस साल आईपीएल के नये सीजन के शुरुआत होते ही जिले में सटोरिये की गतिविधि तेजी से बढ़ी है.आईपीएल क्रिकेट मैच सीरीज को सटोरियों का महापर्व माना जाता है.इस 20-20 ओवर के क्रिकेट के खेल के दौरान देश भर में खरबो रुपए दांव पर लगाए जाते है. किशनगंज जिले में भी इन दिनों सट्टे का यह कारोबार खूब फल-फूल रहा है. सट्टे के लिए बदनाम आईपीएल के खेल में रोजाना लाखो-करोडों के दांव लग रहे है.युवापीढ़ी इसके चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी है.तकनीक के इस दौर में सट्टे का भी खेल पूरी तरह से ऑनलाइन खेला जा रहा है.ऑनलाइन सट्टे के कारोबार को सटोरिये सबसे सुरक्षित मानते हैं.गंदा है पर धंधा है के तर्ज पर आईपीएल के इस सीजन में ही अब तक करोड़ों का खेल हो चुका है ऐसा सूत्र बतातें हैं.

कंप्यूटर और स्मार्ट फ़ोन से चलता है ये गोरख धंधा पूरी तरह से अवैध होने के वावजूद सट्टे का ये खेल बड़े पैमाने पर खेला जा रहा है.ऑनलाइन सट्टे में बुकी(जो सट्टा खेलवाता है) सटोरियों को एक लिंक,आईडी और पासवर्ड देता है.जिसको लॉगिन कर सटोरिए मनचाहे खेल पर रकम दांव पर लगाते हैं.किशनगंज जिले और आसपास के सटोरिये किशनगंज के बुकी के सम्पर्क में हैं और रोजाना लाखों का दांव ऑनलाइन सट्टेबाजी में लगाया जा रहा है.इससे जुड़े लोगों की माने तो ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के खेल में रिस्क नही के बराबर है.

पूरी तरह बदल गया है सट्टे का खेल

वर्ष 2018 में किशनगंज में आईपीएल सट्टा रैकेट के उद्भेदन के बाद से ही खेलने वाले और खिलाने वाले सावधान हो गए हैं.यह अवैध कारोबार लगभग पूरी तरह से डिजिटल हो चुका है.सूत्रों की मानें तो डिजिटल खेल धंधेबाजों के बीच बहुत ही सुरक्षित माना जा रहा है.इस काले कारोबार के डिजिटल होने के बाद अब सटोरियों कहीं से भी इस खेल को खेल सकतें हैं.वहीं डिजिटल सट्टे में एडवांस पेमेंट की प्रक्रिया के कारण बुकी(जो सट्टा खेलाते है) को रकम के फंसने का जोखिम भी नही है.आईपीएल शुरू होने के साथ ही सटोरियों ने अपनी आईडी,पासवर्ड की बुकिंग करवा ली है.मैच दर मैच ये काला कारोबार भी गति पकड़ चुका है.जिसमें और तेजी की संभावना है.

डिजिटल तौर पर लग रहा है दांव

पूर्व में सट्टे खेलने वाले और खिलाने वाले जहां गुप्त स्थानों की तलाश में रहते थे.वहीं अब डिजिटल सट्टे के कारोबार में सिर्फ एक स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से लोग इस सट्टे के खेल को खेल रहे हैं. बुकी(सट्टा खिलाने वाला)अपने पंटरों(खेलने वाले) को ऑनलाइन आईडी और पासवर्ड देता है,जिसको एडवांस पेमेंट से रिचार्ज कर लोग खेल रहें हैं.आईडी पासवर्ड के द्वारा खेलने वाला सट्टा इतना सुरक्षित है कि इसे आसानी से खेला जाता है.

महानगरों से शुरू होकर छोटे शहरों तक पहुंच गया है सट्टा

इस अवैध कारोबार के तार किशनगंज के साथ साथ बंगाल के इस्लामपुर,सिलीगुड़ी, दालखोला,रायगंज और कोलकाता से जुड़े है.रकम का लेनदेन भी गूगल पे,फ़ोन पे, पेटीएम जैसे माध्यमों और हवाला के जरिए होने लगा है.छोटे से छोटे सटोरिये भी हजारों का दांव प्रत्येक मैच में लगा देता हैं.

एक बार हो चुका है सट्टा रैकेट का भंडाफोड़

किशनगंज पुलिस ने एक बार सट्टा रैकेट का उद्भेदन किया था.जिसमें गिरफ्तारियां भी हुई और नगद समेत कई चीजें भी बरामद हुई थी.तब ये धंधा धीमा हुआ लेकिन बदलते समय के साथ ये कारोबार फिर से फलने-फूलने लगा है.अब जबकि फिर से आईपीएल का खेल रफ्तार पकड़ रहा है तो सट्टेबाजी भी जमकर हो रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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