सफेद पाउडर का काला कारोबार युवाओं की जिंदगी को डाल रहा खतरे में
सीमावर्ती किशनगंज जिला दिन प्रतिदिन ड्रग्स माफियाओं और इनके सेवन करने वालों का हब बनता जा रहा है. जिले में ड्रग्स यानी मादक पदार्थों की खपत और तस्करी का सिलसिला थम नहीं रहा.
पौआखाली.सीमावर्ती किशनगंज जिला दिन प्रतिदिन ड्रग्स माफियाओं और इनके सेवन करने वालों का हब बनता जा रहा है. जिले में ड्रग्स यानी मादक पदार्थों की खपत और तस्करी का सिलसिला थम नहीं रहा. पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड को खंगाले तो पता चलेगा कि कैसे एसएसबी बीएसएफ और पुलिस प्रशासन किशनगंज टाउन से लेकर दिघलबैंक, गंदर्भडांगा, जियापोखर, सुखानी, पौआखाली, ठाकुरगंज, गलगलिया थानाक्षेत्रों में अलग अलग समय में कार्रवाई कर स्मैक, अफीम, ब्राउन शुगर जैसे कीमती मादक पदार्थों की जब्ती और इसके सौदागरों को गिरफ्तार करने में सफल रही है. गौरतलब हो कि शराब पर प्रतिबंध के बाद युवाओं में तेजी से सूखे नशे का चलन बढ़ा है. सफेद पाउडर जैसा दिखने वाला सुखा नशा भोले भाले युवाओं की जिंदगी को काला स्याह कर नरक बना दे रहा है. सीमा पर तैनात एजेंसियों और बिहार बंगाल चेकपोस्ट पर तैनात दोनों राज्यों की पुलिस की तैनाती के बावजूद सफेद पाउडर का काला कारोबार ग्रामीण क्षेत्रों तक फेल चुका है. इस कारोबार में सीमावर्ती इलाके के कई युवाओं और अंदरूनी हिस्से में रहने वाले कुछ युवाओं की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. इन युवाओं को इलाके के सफेदपोश का संरक्षण प्राप्त हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि छोटी -छोटी पुड़िया में स्मैक भरकर होम डिलीवरी तक करते हैं. आजकल स्मैक जैसे मादक पदार्थ की डिमांड इस वजह से भी बढ़ी है क्योंकि इसके सेवनकर्ताओं में हर कैटेगरी के लोग शामिल हैं. विडंबना है कि इन कीमती मादक पदार्थों की लत में पड़कर कम उम्र के युवावर्ग शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान झेलने को विवश हैं. इन नशे के खिलाफ जनप्रतिनिधियों एवम अन्य सामाजिक संस्थानों की जो जिम्मेवारी दिखनी चाहिए वो नदारद है. अब वक्त आ गया है स्कूल कॉलेजों से लेकर हर एक सामाजिक कार्यक्रमों में युवाओं को इसकी लत से बचाने के लिए जन जागरूकता सेमिनार और अभियान जरूरी है.
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