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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हुआ शिविर का आयोजन

गर्भवती महिलाओं के समुचित स्वास्थ्य जांच के लिये सोमवार को जिले में विशेष अभियान संचालित किया गया.

किशनगंज.जिले में मातृत्व स्वास्थ्य को ले जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग काफी सजग है ,इसी कड़ी में गर्भवती महिलाओं के समुचित स्वास्थ्य जांच के लिये सोमवार को जिले में विशेष अभियान संचालित किया गया. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत संचालित अभियान के क्रम में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर आयोजित किया गया. इसमें गर्भवती महिलाओं का जरूरी चिकित्सकीय जांच के साथ उन्हें जरूरी दवा व परामर्श संबंधी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया. अभियान के तहत जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में विशेष इंतजाम किये गये थे. आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से संबंधित पोषक क्षेत्र में अभियान से पूर्व ही गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था. ताकि शत-प्रतिशत महिलाओं का समुचित जांच सुनिश्चित कराया जा सके. वही कार्यक्रम का जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी सहित सभी अधिकारियों ने किया.

प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी

महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मीन ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का उद्देश्य शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है. सुरक्षित मातृत्व व जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी है. इससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली जोखिमों का आसानी से पता लगा कर इसे प्रबंधित किया जा सकता है. विभिन्न संक्रामक व जेनेटिक रोग से बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से भी ये जरूरी है. हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित कर सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना के लिहाज से उन्होंने अभियान को महत्वपूर्ण बताया.

जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिये प्रसव पूर्व जांच जरूरी

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से खून, रक्तचाप, एचआईवी संबंधी जांच जरूरी है. गर्भस्थ बच्चे की सही स्थिति, एनीमिया, एचआईवी सहित अन्य रोगों से बचाव ही नहीं, प्रसव संबंधी जटिल मामलों को चिह्नित करने के लिहाज से ये महत्वपूर्ण है. इसलिये सभी गर्भवती माताओं को गर्भधारण के तुरंत बाद, प्रथम तिमाही के दौरान प्रथम जांच की सलाह दी जाती है. इसके बाद गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में दूसरी, छठे या आठवें महीने में तीसरी व नौवें महीने में चौथा जांच कराना जरूरी होता है.

गर्भवती महिलाओं दी जा रही सभी जरूरी सुविधाएं

कार्यक्रम का अनुश्रवण करते हुए जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिये संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना जरूरी है. प्रसव संबंधी जटिलताओं को कम करने के लिहाज से भी एएनसी जांच जरूरी है. जिला स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर हर संभव प्रयास कर रहा है. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक महीने सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर आयोजित कर गर्भवती महिलाओं को जरूरी जांच, दवा व परामर्श संबंधी सेवाएं सुलभता पूर्वक उपलब्ध कराया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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