Loading election data...

Kishanganj news : सीमांचल में बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले, जागरूकता के अभाव में लोग परेशान

Kishanganj news : खेतों में उर्वरक व कीटनाशक के अंधाधुंध इस्तेमाल के साथ धूम्रपान व तंबाकू का सेवन कैंसर के मरीजों में लगातार वृद्धि का बड़ा कारण बनता जा रहा है.

By Sharat Chandra Tripathi | September 15, 2024 8:10 PM

Kishanganj news : सीमांचल में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही कैंसर रोगियों की संख्या चिंतित करनेवाली है. इसे रोकने के लिए अगर अभी से ठोस कदम नहीं उठाये गये, तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं. खेतों में उर्वरक व कीटनाशक के अंधाधुंध इस्तेमाल के साथ धूम्रपान व तंबाकू का सेवन कैंसर के मरीजों में लगातार वृद्धि का बड़ा कारण बनता जा रहा है. आज हालात यह है की ठाकुरगंज जैसे ग्रामीण इलाके में रोज नये कैंसर पीड़ितों की जानकारी सामने आ रही है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, जबकि पुरुषों में फेफड़े और गले का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. दरअसल कैंसर के जानलेवा साबित होने का बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी और इलाज की उचित व्यवस्था न होना है. गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों के लिए इस बीमारी में इलाज का एकमात्र विकल्प सरकारी अस्पताल ही हैं, लेकिन इन अस्पतालों में न तो कैंसर से निबटने के लिए पर्याप्त दवा है और न ही मेडिकल उपकरण. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए आवश्यक मेमोग्राफी मशीन तक सरकारी हॉस्पिटल में नहीं है. जानकारों के अनुसार, मानक कहता है की हर 10 लाख लोगों पर कैंसर डिटेक्शन मशीन होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.

क्या है कैंसर का कारण

खेती में अंधाधुंध उर्वरक व कीटनाशकों के इस्तेमाल के साथ धूम्रपान व तंबाकू का सेवन, असंतुलित खानपान और अनियमित दिनचर्या भी कैंसर को जन्म दे रही है. खास बात यह कि रोग से अंजान 65 फीसदी मरीज हालत बिगड़ जाने के बाद ही डॉक्टर के पास पहुंच पाते हैं, जिससे उन्हें बचाना मुश्किल होता है. रोग को बढ़ने से रोकने के लिए कैंसर रोगी प्रारंभिक स्टेज में ही रोग की पहचान कर जांच कराएं, तो इस घातक बीमारी से आसानी से लड़ा जा सकता है. जिले में पुरुषों में मुख, गला, फेफड़े और आंत का कैंसर तथा महिलाओं में स्तन कैंसर और गर्भाशय के मुख के कैंसर अधिकता में पाया जा रहा है. कैंसर मरीज तीसरी और चौथी स्टेज में आने के बाद ही डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. इससे उनकी जान बचा पाना मुश्किल होता है. आम तौर पर कैंसर के प्रारंभिक स्टेज में शरीर पर आयी गांठ या घाव में कोई दर्द नहीं होता और न ही किसी तरह की बड़ी शारीरिक परेशानी होती है. इससे मरीज इस बात को लेकर निश्चिंत रहते हैं, लेकिन आगे चलकर यही घातक साबित होता है.

ऐसे रखें निगरानी

पुरुष 40 साल की उम्र के बाद हर पांच साल में कोलोनोस्कोपी जांच कराएं. इससे शरीर के अंदरूनी हिस्से में पनप रहे कैंसर का पता लगाया जा सकता है. यह जांच डेढ़ से दो हजार रुपये में होती है. शरीर के बाहरी हिस्से में आये घाव और गांठ की जांच सुई की मदद से की जा सकती है.

महिलाएं रखें ध्यान

जिन महिलाओं का वजन ज्यादा हो, जिनके ज्यादा बच्चे हों वैसी महिलाओं को स्तन और गर्भाशय के मुख के कैंसर की शिकायत हो सकती है. परिवार में कैंसर होने पर यह आशंका काफी बढ़ जाती है. जननांगों में इन्फेक्शन की शिकायत, तेजी से वजन कम होने जैसी समस्या आने पर तुरंत जांच कराएं.

मेमोग्राफी कराएं महिलाएं

21 वर्ष की उम्र के बाद पैपस्मिया टेस्ट कराएं. इससे स्तन कैंसर का पता लगाया जा सकता है. तीन साल तक निगेटिव रिपोर्ट आने पर इसके बाद तीन-तीन साल के अंतराल में ही जांच कराएं. 40 वर्ष से ऊपर की महिलाएं मेमोग्राफी करा सकती हैं. यह जांच एक से डेढ़ साल के अंतराल में करानी होती है. इसका खर्च करीब 1500 रुपये होता है.

सीमांचल में नहीं है इलाज की व्यवस्था

सीमांचल में इस जानलेवा बीमारी के इलाज की व्यवस्था नहीं रहना लोगों के लिए दुखदाई बन गया है. हालांकि 12 अगस्त, 2017 को गलगलिया में ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन नामक संस्था ने बड़े तामझाम से कैंसर परामर्श केंद्र का शिलान्यास किया था. सांसद और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने इस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान संस्था के कार्य की तारीफों के पुल बांध दिये थे. पर, चार वर्ष पूर्व चालू हुआ यह केंद्र अब एक डायग्नोसिस सेंटर बनकर रह गया है. इस सेंटर के वर्तमान संचालक बलवंत चौहान बताते है की यहां आनेवाले मरीजों की सामान्य जांच होती है.

प्रारंभिक लक्षणों को पहचान कराएं जांच : सीएस

इस मामले में किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार बताया कि कैंसर के प्रति लोगों में अभी जागरूकता कम है. इसके बारे में सुनते ही वह डिप्रेशन में चले जाते हैं, जबकि इससे डरने की नहीं, बल्कि समझने की जरूरत है. समय पर प्रारंभिक लक्षणों को पहचानकर जांच कराएं तो इससे बचा जा सकता है. सदर हॉस्पिटल में कैंसर के जांच की व्यवस्था है. सदर हॉस्पिटल में ब्रेस्ट कैंसर, मुंह के कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के जांच की व्यवस्था है. समय-समय पर प्रखंडों में भी कैंप लगाये जाते हैं. समय पर कैंसर की जांच न होने के कारण यह भयानक रूप ले लेता है. इसलिए मरीज को थोड़ा सा भी मुंह में जख्म होने पर इसकी जांच करानी चाहिए, ताकि इसका समय पर पता चलते ही उपचार शुरू हो जाए. आमजनों को बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू व शराब का सेवन करने से बचना चाहिए, जिससे वह पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें.

Next Article

Exit mobile version