उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का हुआ समापन

लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ का दूसरा अर्घ शुक्रवार को सूर्य की पहली किरण के साथ दिया गया. गुरुवार को पहला अर्घ देने के बाद दूसरे अर्घ के लिए आधी रात के बाद से ही आस्था का जन सैलाब छठ घाटों पर उमड़ने लगा, और अर्घ देने के साथ ही महापर्व का समापन हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | November 8, 2024 8:10 PM

प्रकृति पर्व पर दीनानाथ ने दिया निर्मल काया का वरदान उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ पर्व के शांतिपूर्ण समापन में जिला प्रशासन पूजा समितियों और सामाजिक संगठनों की भूमिका अहम किशनगंज.लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ का दूसरा अर्घ शुक्रवार को सूर्य की पहली किरण के साथ दिया गया. गुरुवार को पहला अर्घ देने के बाद दूसरे अर्घ के लिए आधी रात के बाद से ही आस्था का जन सैलाब छठ घाटों पर उमड़ने लगा, और अर्घ देने के साथ ही महापर्व का समापन हो गया. इसके पूर्व पहला अर्घ अस्ताचलगामी भगवान दिनकर को पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ दिया गया. पूजा के दौरान भक्ति चरम पर दिखी. उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रतियों ने पारण के साथ अपने 36 घंटें के निर्जला व्रत को समाप्त किया. जिले के शहर से लेकर नेपाल के सीमा सहित गांव स्थित घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. हर तरफ छठी मइया की भक्ति दिख रही थी. छठ के गीतों से वातावरण गुंजायमान रहा. अर्घ देने के पूर्व व्रतियों ने पानी में खड़े होकर सूर्य का ध्यान लगाया. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में स्थित छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था. लाइटिंग की सजावट देखते ही बन रही थी. सूर्योदय से पहले घाटों और तालाबों के किनारे जाने के लिए निकले व्रती उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के लिए अहले सुबह सूर्योदय होने से घंटों पहले ही लोग अपने-अपने घरों से घाटों और तालाब के लिए निकल पड़े थे. पुरुष अपने-अपने माथे पर दोउरा में पूजन सामग्री लिए व्रतियों के साथ आ रहे थे. महिलाएं छठ मइया के गीत गाते हुए घाट किनारे आगे बढ़ रही थी. व्रतियों ने भरा कोसी, जलाया दीप गुरूवार को सांध्यकालीन अर्घ के बाद व्रतियों ने विधिपूर्वक कोसी भरा इसके बाद पूजा की गई. कोसी का दीप जलाया. पहला अर्घ देने के बाद रात्रि पहर घर पर कोसी भरकर दीप जलाकर पूजा की गई. इसके बाद देर रात घाट पर भी कोसी का दीप जलाया गया. यहां बता दे कि नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय लोक उपासना के पर्व छठ की शुरूआत मंगलवार को हुई थी. पर्व के दूसरे दिन बुधवार को खरना की पूजा की गई. तीसरे दिन गुरूवार को सांध्यकालीन अर्घ के बाद शुक्रवार को प्रातःकालीन अर्घ दिया गया. घाटों पर थे पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम छठ घाटों की स्थिति पर प्रशासन के अधिकारी नजर रखे हुए थे. घाटों पर सुरक्षा के लिए दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारी के अलावा पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई थी. अधिकारियों की टीम घाटों का लगातार निरीक्षण कर रही थी. इस क्रम में घाटों पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सहित पुलिस अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे थे. एनडीआरएफ की टीम को सक्रिय कर रखा गया था. जबकि चलंत चिकित्सा दल भी घाटों पर मौजूद थे. युवाओं ने खूब ली सेल्फी सूर्योपासना के महापर्व छठ में व्रती जहां सूर्य को अर्घ दे रही थीं, वहीं युवा सेल्फी लेने में व्यस्त दिखे. वे किसी भी यादगार लम्हे को तस्वीरों में कैद करने से चूक नहीं रहे थे. मनौती के पूरा होने पर छठ घाटों पर दंड प्रणाम करते हुए जाने की परंपरा को निभाते हुए हर घाट पर ऐसे श्रद्धालु दिखे. जगह-जगह भगवान भास्कर की प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं हैं. सूर्य देव ताकी सात घोड़ों वाली प्रतिमा नजरें को खींच रही थी. सड़कों से घाटों तक की गयी थी सफाई व भव्य सजावट पूजा समितियों ने में घाटों को भव्य तरीके सजाया था. हर इलाके में सड़कों से लेकर घाटों तक सफाई की गई. बदलती जीवन शैली में अब श्रद्धालु घरों में भी कैंपस में या छत पर छठ व्रत करने लगे हैं. इसके लिए छोटे-छोटे अस्थायी तालाब बनाए गए थे.

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