एंबुलेंस रास्ते में छोड़कर नाव के सहारे मृतक का शव पहुंचा गांव ठाकुरगंज. सरकार के विकास के तमाम दावों के बीच ठाकुरगंज प्रखंड के दल्लेगांव पंचायत की जिंदगी नाव पर टिकी है. एक व्यक्ति की मौत के बाद लाश को सड़क मार्ग के बदले नाव के सहारे उसके पैतृक गांव तक लाया गया. बताते चले दल्लेगांव के वार्ड सदस्य सैयद आलम के चाचा कलीमुद्दीन की किशनगंज में ईलाज के दौरान मौत हो गई थी. कलीमुद्दीन की मौत के बाद किशनगंज से तो लाश को एम्बुलेंस से लाया गया परंतु आधे रास्ते के बाद लोगों का सहारा नाव बनी और बीच रास्ते में ही एंबुलेंस का सफर को छोड़ कर लाश को नाव के जरिये गांव पहुंचाया गया. नाव में लाश को रखने के बाद जब नाव नदी के पार पहुंची तो मृतक के परिजनों ने शव को चारपाई पर रखकर घर ले आये और फिर उनके जनाजे की नमाज पढ़ी गई. इस मामले में ठाकुरगंज पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि सह मुखिया संघ प्रखंड अध्यक्ष प्रतिनिधि गुलाम हसनैन ने कहा कि दुर्भाग्य है की इस इलाके ने न सिर्फ विधायक दिया बल्कि यहां विधायक ने मंत्री पद भी संभाला लेकिन यह पुल नहीं बन पाया. उन्होंने बताया कि आज भी जिस तरह से भवानीगंज, बैगनबाड़ी, दल्लेगांव, तलीभीट्टा, पठामारी सहित आदि गांव मेची नदी के कटाव से गरीब लोगों की जमीन नदी में समा रही है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. वहीं इस मामले में स्थानीय निवासी मोहम्मद जहुर आलम रिज़वी ने कहा कि जहां एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात की जा रही हैं, वहीं दूसरी और दल्लेगांव पंचायत आजादी के 76 साल गुजर जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. 2019 में मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत 24 करोड़ के लागत से पुल निर्माण का कार्य तो चालू हुआ था मगर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया. आज भी हमें किसी भी आपदा, बीमारी या विपत्ति में इसी नदी को पार करना पड़ता है और कई दफा इस नदी के वजह से समय पर ईलाज नहीं मिलने से कई जाने भी जा चुकीं हैं. बताते चले इस पंचायत के मेची नदी के पार लोगो ने 2019 इस पुल का मांग को लेकर लोगों वोट बहिष्कार किया था जिसके बाद पूर्व विधायक के काफी संघर्ष के बाद पुल का कार्य निर्माण शुरू हुआ लेकिन पुल पर अप्रोच नहीं होने के कारण लोग आवागमन नहीं कर पाते है.
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