120 वर्ष प्राचीन प्रसिद्ध बूढ़ी काली मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था, पूरी होती है मनोकामना
शहर के लाइन स्थित प्रसिद्ध बूढ़ी काली मंदिर का इतिहास 120 वर्ष पुराना है. वर्ष 1902 से ही मां काली की पूजा की जाती है.
गौरव, किशनगंज.शहर के लाइन स्थित प्रसिद्ध बूढ़ी काली मंदिर का इतिहास 120 वर्ष पुराना है. वर्ष 1902 से ही मां काली की पूजा की जाती है. शुरुआत में यहां टाटी के मंदिर में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की गई थी. उस समय प्रतिमा को पूजा के एक दिन बाद नदी में विसर्जित कर दिया जाता था. धीरे-धीरे समाज के लोगों के सहयोग से मंदिर में टीन का छत दिया गया. धीरे धीरे समाज के लोग आगे आये और पक्के के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया. अब यहां भव्य मंदिर बन कर तैयार है.पूजा कमिटी के सचिव शुभजीत शेखर ने बताया कि मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की माता के मंदिर में पूरी आस्था है. इस मंदिर से जुड़ी आस्था का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त मंदिर में हर वर्ष प्रतिमा देते हैं. अभी वर्ष 2048 तक प्रतिमा बुक है. प्रतिमा एक वर्ष तक रहती है. वही दो वर्ष पूर्व केन्दीय गृह मंत्री अमित साह ने भी मां काली की पूजा की थी जिसकी चर्चा देश भर में हुई थी. हाल के दिनों में बिहार के राज्यपाल ने भी माता की पूजा की थी. पूजा कमिटी के साधन प्रसाद दास, मनोज मजूमदार व राजा दत्ता ने बताया कि मंदिर में एक ही वंशज के द्वारा पुरोहित का कार्य किया जाता है. पूर्व में यहां स्वर्गीय तुलसी मुखर्जी के द्वारा मां काली की पूजा की जाती थी अब यहां इनके पुत्र मलय मुखर्जी के द्वारा माता की पूजा की जाती है मंदिर में एक ही वंशज के द्वारा प्रतिमा का भी निर्माण किया जाता है. पूर्व में निमाई पाल के द्वारा प्रतिमा का निर्माण किया जाता था अब इनके पुत्र निताई पाल के द्वारा प्रतिमा का निर्माण किया जाता है. यहां किशनगंज जिले के अलावा सीमावर्ती जिलों व बंगाल से भी भक्त माता मां काली की दर्शन के लिए आते है. काली पूजा में यहां भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है. मंदिर परिसर में ही विशाल पीपल का वृक्ष है. इस बार भी पूजा कमिटी के द्वारा भव्य तरीके से पूजा आयोजित की जाएगी. इस बार भी नई पूजा समिति का गठन किया गया है. कमिटी में अध्यक्ष भजन पाल, सचिव शुभजित शेखर, कोषाध्यक्ष राजा दत्ता बनाये गए है.
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