किशनगंज.दस्त से पीड़ित बच्चे आसानी से निर्जलित हो सकते हैं. निर्जलीकरण गंभीर, यहां तक कि घातक भी हो सकता है. शिशुओं या छोटे बच्चों को दस्त होने पर निर्जलीकरण होने का विशेष खतरा होता है. वे बहुत जल्दी अस्वस्थ हो सकते हैं. दस्त की वजह से कई बार बच्चों में खड़े होने की क्षमता भी नहीं रह जाती है. यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो बच्चे को अस्पताल ले जाना पड़ सकता है.
दस्त की रोकथाम हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले में मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार की अध्यक्षता में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बच्चों को ओआरएस पैकेट देकर एवं जागरूकता रथ को रवाना कर दस्त रोकथाम अभियान की शुरुआत की गयी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिले सभी स्वास्थ्य केंद्र में आज कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. जो आगामी 22 सितम्बर तक चलेगा | वही 0 से 05 वर्ष तक के सभी बच्चों को ओआरएस पैकेट दिया जायेगा. दस्त से ग्रसित बच्चों को जिंक की गोलियां उपलब्ध करायी जायेगी. दस्त रोकथाम अभियान का मुख्य उद्देश्य डायरिया के प्रसार को कम करते हुए इससे होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर पर लाना है.सिविल सर्जन ने बताया कि 0 से 05 वर्ष तक के बच्चों की डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट की कमी होना है. ओआरएस और जिंक के उपयोग से डायरिया से होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है. कहा कि जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों, उप केंद्रों के साथ अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में शामिल शहरी, झुग्गी- झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, घुमंतू-निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्ठे वाले क्षेत्र आदि में वितरण के लिये ओआरएस-जिंक स्टॉल लगाया जाएगा. कहा कि 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चों दस्त ग्रसित होने के लक्षण दिखाई देते ही नजदीकी अस्पताल में इलाज सुनिश्चित कराना चाहिए. उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से डीएस, डीआईओ डॉ देवेन्द्र कुमार , डीडीए सुमन सिन्हा , डीसीएम् , पिरामल एवं पिएसआई , यूनिसेफ से सहयोगी तथा स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे.
जिंक-ओआरएस के बनाये गये है कार्नर
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआइओ) डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि 05 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट वितरण किया जायेगा. परिवार के सदस्यों को ओआरएस घोल बनाने की विधि बतायी जायेगी. इससे होने वाले लाभ, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीकों आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी. दस्त के दौरान बच्चों को जिंक की गोली उम्र के अनुसार उपयोग कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा परिजनों को जागरूक किया जायेगा. उन्होंने बताया कि जिंक का उपयोग करने से बच्चों के दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है एवं अगले 02 से 03 महीने तक बच्चों के दस्त एवं निमोनिया से ग्रसित होने की संभावना कम हो जाती है. बताया कि दस्त रोकथाम अभियान के तहत सभी प्रखंडों जिंक-ओआरएस कार्नर बनाये जायेंगे. वहां से लक्षित बच्चों को एवं दस्त प्रभावित बच्चों को ओआरएस घोल और जिंक की गोली उपलब्ध करायी जायेगी. कहा कि जिले में 03 लाख 96 हजार 790 ओआरएस पैकेट्स और 03 लाख 78 हजार 882 जिंक की गोली वितरण का लक्ष्य है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है