वर्ष 1950 से मनोरंजन क्लब परिसर में होती है शक्ति की आराधना
मनोरंजन क्लब परिसर में शारदीय नवरात्र में होने वाली दुर्गा पूजा और पंडाल श्रद्धालुओं के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. गोसवारा समिति द्वारा पिछले साढ़े सात दशकों से यहां देवी दुर्गा की आराधना की जा रही है.
पिछले 75 वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है यह पूजा पंडाल
पूजा पंडाल और प्रतिमा को अंतिम स्वरूप देने में जुटे मूर्तिकारपश्चिम बंगाल के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई है भव्य प्रतिमा.
रामबाबू,किशनगंज.शहर के मनोरंजन क्लब परिसर में शारदीय नवरात्र में होने वाली दुर्गा पूजा और पंडाल श्रद्धालुओं के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. गोसवारा समिति द्वारा पिछले साढ़े सात दशकों से यहां देवी दुर्गा की आराधना की जा रही है.जहां माता के दर्शन के लिए आस्था का जन सैलाब उमड़ता है.मनोरंजन क्लब की प्रतिमा और साज सज्जा में आधुनिक बदलाव के कारण यहां श्रद्धालुओं की सर्वाधिक भीड़ उमड़ती है. जिले के ग्रामीण इलाके सहित पड़ोस के पश्चिम बंगाल से भी पूजा के दौरान भक्तों का आगमन होता है.यहां आकर्षक प्रतिमा के साथ भव्य लाइटिंग एवं पंडाल की अपनी विशेषता है.पूजा पंडाल व लाइटिंग की भव्यता दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.मनोरंजन क्लब के विशाल प्रांगण में बायीं ओर शिव मंदिर व अन्य देवी देवताओं की मंदिर है. जहां सालों भर पूजा अर्चना से माहौल भक्तिमय बना रहता है. यहां पहले दिन से कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा प्रारंभ हो जाती है. पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना व आरती में जुटने लगती है.इसी तरह छह पूजा से पूजा पंडाल में शाम के समय सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं.अष्टमी व नवमी को यहां शहर के अलावे ग्रामीण इलाके के लोग भी यहां की पूजा को विशेष रुप से देखने के लिए पहुंचते हैं और शाम होते ही आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है.पूजा कमिटी के अध्यक्ष आभाष कुमार उर्फ मिक्की साहा बताते हैं कि स्थानीय लोगों के सहयोग से ही यहां भव्य एवं दिव्य रूप में शक्ति की आराधना और पूजा का आयोजन होता है.
पूजा पंडाल और प्रतिमा को अंतिम स्वरूप देने की तैयारी में कलाकार
पश्चिम बंगाल के मूर्ति कलाकारों द्वारा बनायी जा रही है भव्य प्रतिमा यहां हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. मनोरंजन क्लब स्थित पूजा पंडाल को कारीगर अंतिम रूप देने में जुटे हैं.पंडाल भी तैयार कर लिया गया है सिर्फ उसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है.वहीं मां दुर्गा के प्रतिमा का निर्माण पूर्ण हो चुका है. पश्चिम बंगाल के विशेषज्ञ मूर्तिकार अब प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुट गये हैं.वर्ष 1950 से यहां होती है शक्ति की आराधना
गोसवारा समिति मनोरंजन क्लब दुर्गा पूजा का इतिहास काफी पुराना है.1950 से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की गई थी.पूजा की शुरुआत इन्दर लाल साहा व स्व. गिरेन प्रसाद मोदी ने कीथी उस दौर में कृत्रिम प्रकाश के लिए पेट्रोमेक्स का उपयोग होता है. बदलते समय के साथ-साथ यहां की पूजा में भव्यता बढ़ती चली गयी. यहां के पूजा पंडाल की अपनी विशिष्टता है.जो लोगों को अपनी और आकृष्ट करता है.पूजा और मेले की तैयारियों में जुटे हैं कमिटी के सदस्य
अध्यक्ष आभास कुमार उर्फ मिक्की,सचिव प्रदीप कुमार साह,संयोजक रंजीत रामदास,कौशिक साह,नीरज कुमार साह,मानव साह,मनीष राज, मानू साह सहित स्थानीय लोगों पूजा और मेले के सफल आयोजन को लेकर दिन रात लगे हुए हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है