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आस्था का बड़ा केंद्र है दिघलबैंक का प्राचीन दुर्गा मंदिर

भारत-नेपाल सीमा के मुहाने पर स्थित दिघलबैंक बाजार में दुर्गा माता मंदिर की साज-सज्जा बरबस ही श्रद्धालुओं और भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है.

जीर्णोद्वार के बाद पूरी तरह बदल गया दिघलबैंक दुर्गा का स्वरूप.

पिछले पांच दशकों से यहां होती है शक्ति की आराधनास्थायी प्रतिमा की हो चुकी है स्थापना.

दिघलबैंक दुर्गा मंदिर बना आकर्षण का केंद्र.

धूमधाम से इस साल मनेगा शारदीय नवरात्रएकादशी को लगेगा मेलारामबाबू,किशनगंजभारत-नेपाल सीमा के मुहाने पर स्थित दिघलबैंक बाजार में दुर्गा माता मंदिर की साज-सज्जा बरबस ही श्रद्धालुओं और भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है.जीर्णोद्धार के बाद मंदिर का पूरा स्वरूप ही बदल गया है.स्थानीय बुजुर्ग बतातें हैं कि पिछले पांच दशक से यहां देवी की आराधना होती है.कभी यहां फुस और तिरपाल का मंदिर बनाकर देवी की पूजा अर्चना की जाती थी.फिर मन्दिर का निर्माण हुआ और अब स्थानीय लोगों से सहयोग से मंदिर का पूरा स्वरूप ही बदल दिया गया है.संगमरमर से बने प्रतिमा की स्थापना भी यहां हो चुकी है.दिघलबैंक दुर्गा मंदिर की भव्यता ऐसी की लोग मन्दिर में घंटों बैठ जातें है.

टीन और तिरपाल से संगमरमर तक का सफर

पूजा कमिटी के सदस्य बतातें हैं कि पूर्व में दिघलबैंक पुराना बाजार में दुर्गा पूजा आयोजित होती थी.लेकिन अस्सी के दशक में जब हाट नये बाजार में स्थांतरित हुई तब से यहीं देवी दुर्गा की आराधना होती है.पूर्व में टीन और तिरपाल में प्रतिमा स्थापित की जाती थी अब यह मंदिर आधुनिकता और भव्यता का प्रतीक बन चुकी है.कहतें हैं कि दुनियां में कोई भी काम असंभव नही है.सिर्फ इरादा नेक और लगन सच्ची हो तो हर काम तय समय पर हो जाता है उसमें भी अगर गंगा-जमुनी तहजीब का समावेश हो तो फिर क्या कहने.दिघलबैंक बाजार स्थित दुर्गा माता मंदिर का जो लंबे समय से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था. जिसको स्थानीय बाजार वासियों एवं युवाओं ने नये सिरे से जीर्णोद्धार करने में अहम भूमिका निभाई है.और मंदिर का पूरा रूप ही बदल दिया गया.करीब पांच दशक पुराने मंदिर के मूल स्वरूप को बदले बिना जीर्णोद्धार पर लाखों रुपए की लागत लगा अब जाकर मंदिर की छटा देखते ही बनती है.

आस्था का केंद्र है यह मंदिर

जीर्णोद्धार में परंपरा का ध्यान रख आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर इसे नया स्वरूप दिया गया.टाइल्स,मार्बल सहित अन्य आधुनिक चीजों का उपयोग कर मन्दिर को काफी बेहतर और सुंदर निर्माण हुआ है.मन्दिर में स्थायी पुजारी की नियुक्ति भी हुई है.पुरोहित सरोज झा बताते हैं कि माता के दरबार में जो भी भक्त श्रद्धा से कुछ भी मांगते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं माता,जबकि नवरात्र पूजा के पुरोहित गोपाल ठाकुर बतातें हैं की माता के दरबार से कोई खाली नहीं जाता है..

यहां सीसीटीवी से होती है निगरानी

मंदिर प्रबंधन ने मंदिर परिसर में क्लोज सर्किट कैमरा लगाया है.जिससे मेला के दिनों समेत अन्य दिनों में भी निगरानी होती रहती है. इस मंदिर में मुख्य द्वार की भव्यता अनोखी है.जो बरबस ही लोगों को आकर्षित करती है.

एकादशी को लगेगा मेला

नवरात्रि के समापन के उपरांत एकादशी को यहां भव्य मेला लगता है.जिसमें जिले के अलावे पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ता है.

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