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एनीमिया पर प्रभावी प्रशिक्षण: “पोठिया सीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों ने सीखा रोकथाम और उपचार का महत्व “

एनीमिया, जो कि शरीर में आयरन की कमी के कारण होने वाली एक गंभीर समस्या है, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है.

पोठिया.एनीमिया, जो कि शरीर में आयरन की कमी के कारण होने वाली एक गंभीर समस्या है, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की इसे ‘मूक हत्यारा’ भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण सामान्यतः नज़र नहीं आते, लेकिन इसका प्रभाव गंभीर होता है, खासकर गर्भवती महिलाओं और किशोरियों पर. इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई प्रयास किए हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कदम हाल ही में पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में देखने को मिला. यहां पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें सभी एएनएम को एनीमिया की पहचान, रोकथाम और उपचार के तरीके सिखाये गये.

उक्त प्रशिक्षण शिविर में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि “एनीमिया को नजरअंदाज करना समाज के भविष्य को कमजोर करने जैसा है. स्वस्थ महिलाएं और बच्चे ही समाज की नींव को मजबूत बना सकते हैं, इसलिए इस दिशा में निरंतर प्रयास आवश्यक है. ऐसे प्रशिक्षण सत्र स्वास्थ्य कर्मियों को सशक्त बनाते हैं ताकि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी काम कर सकें. ”

एनीमिया को कम करने के लिए पोषण का सही संतुलन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण सत्र का उद्देश्य एनीमिया से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालना था. प्रशिक्षकों ने एएनएम को बताया कि एनीमिया के लक्षणों को पहचानना और इसे शुरुआती अवस्था में ही रोकना क्यों आवश्यक है. महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की समस्या को कम करने के लिए पोषण का सही संतुलन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए एएनएम को आयरन और फोलिक एसिड की पूर्ति के सही तरीके सिखाए गए ताकि वे सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक कर सकें.एनीमिया को नियंत्रित करने के लिए गर्भवती महिलाओं और किशोरियों में नियमित जांच की महत्ता पर जोर दिया गया. उन्हें यह भी सिखाया गया कि आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को किस तरह से शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन की गोलियों का सही तरीके से वितरण और सेवन सुनिश्चित करने पर भी विस्तृत जानकारी दी गई.

अपने क्षेत्रों में जाकर एनीमिया की पहचान और उपचार के लिए जागरूकता अभियान चलाएं

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने स्वास्थ्य कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में एनीमिया की चुनौती बड़ी है, लेकिन आपके योगदान से हम इस पर काबू पा सकते हैं. आप सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, जो एनीमिया से लड़ाई में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आपके द्वारा किए गए प्रयास इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुधार के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होंगे. “प्रशिक्षण के बाद, सभी एएनएम को निर्देशित किया गया कि वे अपने क्षेत्रों में जाकर एनीमिया की पहचान और उपचार के लिए जागरूकता अभियान चलाएं. इसके अंतर्गत घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को एनीमिया की जांच, लक्षणों की पहचान और रोकथाम के उपायों की जानकारी प्रदान की जाएगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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