ऐतिहासिक कीचक वध स्थल पर आज लगेगा मेला, तैयारी पूरी

माघी पूर्णिमा के मौके पर बुधवार को हर साल की तरह इस साल भी गलगलिया थाना क्षेत्र अंतर्गत भातगांव के निम्बूगुड़ी गांव से महज तीन किमी पर स्थित नेपाल के झापा जिले के महेशपुर गांव में ऐतिहासिक कीचक वध स्थल पर मेले का आयोजन किया जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | February 11, 2025 8:44 PM

विवेक चौधरी,गलगालिया

माघी पूर्णिमा के मौके पर बुधवार को हर साल की तरह इस साल भी गलगलिया थाना क्षेत्र अंतर्गत भातगांव के निम्बूगुड़ी गांव से महज तीन किमी पर स्थित नेपाल के झापा जिले के महेशपुर गांव में ऐतिहासिक कीचक वध स्थल पर मेले का आयोजन किया जायेगा. जहां माघी पूर्णिमा के दिन मेले का आयोजन किया जाता है. भारत की ओर से एसएसबी के जवान स्थानीय प्रशासन भी इस मेले को लेकर अपने अपने स्तर से तैयारी पूरी कर रही है. इस मेले में जबरदस्त भीड़ लगने के कारण लोगों को आवागमन में काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ता था लेकिन अब इस जगह पर झूला पुल का निर्माण हो जाने से अब लोगों को इन सभी दिक्कतों का सामना नही करना होगा साथ ही इस पुल के निर्माण होने के बाद से लोगो यहां आकार सल्फी लेना नही भूलते है फिर भी आस्था को दे मध्य नजर रखते हुए लोग इस पुरानी धरोहर को देखने और मन्नतें मांगने के लिए पहुंचते हैं इस मेले में लाखों की संख्या में बिहार, बंगाल, असम, भूटान व सिक्किम तथा नेपाल के झापा, मोरंग, सप्तरी जिलों से श्रद्धालु यहां मत्था टेकने पहुंची भारतीय श्रद्धालु नेमुगुड़ी (भारत) मेची नदी पार कर पूजा-अर्चना करने आते है. सदियों से यहां कीचक वध मेले का आयोजन किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों को एक वर्ष का अज्ञातवास गुजारना था. इसी दौरान मत्स्य देश के सेनापति कीचक का वध पांडव पुत्र भीम ने मल्य युद्ध के बाद इसी स्थान पर किया था.

भीम की कीचक वध की प्रतिमा

दोनों देशों के नागरिक हिन्दू रिति रिवाज से कीचक वध स्थली पर पहुंच कर पूजा अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि सौ वर्ष पहले यह जगह स्थल घने जंगलों से घिरा हुआ था और साधू संत, ऋषि मुनियों का आगमन उक्त स्थान पर लगा रहता था. लोग बसंत पंचमी के दिन से माघ पूर्णिमा तक दस दिनों तक महाभारत कथा का पाठ किया जाता है.

पातालगंगा का अलग विशेष महत्व

कीचक वध क्षेत्र में स्थित पातालगंगा का भी एक अलग महत्व है.चबूतरानुमा पातालगंगा के समीप शुद्ध मन व तन से किचक वध नाम, सत्यदेवी पातालगंगा धाम का जयकारा लगाने से पानी उबलने लगता है।

उत्खनन में मिले ऐतिहासिक अवशेष

समय के साथ सब कुछ बदलने के बाद भी ठाकुरगंज, महेशपुर में पौराणिक अवशेष आज भी सुरक्षित है.पुरातत्व विभाग द्वारा अब तक यहां 7 चरणों में उत्खनन हो चुका है, जिसमें तबेला जैसी दिखने वाली 22 मीटर लंबा व 17 मीटर चौड़ा एक मंजिला भवन पाया गया था साथ ही मिट्टी के बर्तन, मिट्टी के ईंट जैसा प्लेट (टायल्स), घोड़ा व हाथी के गले में पहनने वाली कई वस्तु, मिसाइल के आकार के मिट्टी का सामान, पत्थर की थाली, मिट्टी की सुराही, बाण, नाग की मूर्ति एवं लोहे की चाकू इत्यादि पाया गया है.साथ ही खपरैल के टुकड़े और कुछ हड्डियां भी मिलने की जानकारी मिली है। वहीं कमेटी के लोगों ने नेपाल सरकार के प्रति इस बात को लेकर रोष है. कि मेले में सरकार से गुहार लगाने के बावजूद श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कोई पहल नहीं की गई. मेला कमिटी के अध्यक्ष दिल बहादुर थेवे, सचिव मदर करेल, उपाध्यक्ष अम्बिका थापा ने बताया कि मेला के दिन लाखों श्रद्धालु यहां मन्नत मांगने आते हैं. पूर्ण होने पर श्रद्धालु फल फूल, बताशा, कबूतर, बकरा आदि का चढ़ावा चढ़ाते हैं.यहां पशु, पक्षी की बली पर रोक है.वहीं क्षेत्र में स्थित पातालगंगा का भी एक अलग महत्व है.लोगों ने यह भी बताया कि चबूतरानुमा पातालगंगा के समीप शुद्ध मन व तन से कीचक वध नाम, सत्यदेवी पातालगंगा धाम का जयकारा लगाने से पानी उबलने लगता है भातगांव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मुन्ना सिंह ने बताया कि इस मेले में जाने के लिए निंबूगुड़ी हो कर जाना पड़ता है. जिसमें श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.मेरे प्रयासों से इस वर्ष मेले में जाने वाले लोगों के लिए दिक्कतों का सामना ना करना पड़े इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है ताकि लोग बिना कोई परेशानी के मेला पहुंच सकें और इस ऐतिहासिक मेले का आनंद उठाएं.

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