किशनगंज. किशनगंज के किसान इन दिनों खेती में कई सफल प्रयोग कर रहे हैं. इससे कम समय में बेहतर मुनाफा कमा रहा है. जिले में एक ऐसे ही किसान हैं जो खेती में अलग-अलग प्रयोग कर सफल खेती कर रहें है और बेहतर उत्पादन हो रहा है. हम बात कर रहें हैं ठाकुरगंज के रहने वाले नागराज नखत की. नागराज नखत जिले के एक प्रगतिशील किसान हैं, जो केले के बाद बिहार में ड्रेगनफ्रूट की खेती के जनक के रूप में जाने जाते है. इसी कड़ी में अब ब्लैक हल्दी की खेती से भी इनका नाम जुड़ गया है. नागराज नखत अब काली हल्दी की खेती कर रहे हैं और विलुप्त हो रही काली हल्दी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
किशनगंज के पहले किसान हैं जो उपजा रहे काली हल्दी
80 वर्षीय नागराज जिले के पहले ऐसे किसान हैं जिन्होंने काली हल्दी की खेती शुरू की है. पिछले वर्ष इन्होंने एक कट्ठा भूमि पर काली हल्दी की खेती की थी. इससे करीब एक क्विंटल हल्दी का उत्पादन हुआ था. साथ ही वह अन्य किसानों को इसकी खेती करने के लिए भी वे प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. इस बार इन्होंने दो बीघे में काली हल्दी लगायी है और फसल देखकर अनुमान है कि लगभग दो क्विंटल हल्दी का उत्पादन होगा. इसके तने की उंचाई पांच फुट से अधिक है और केले के पते के सामान इसकी पत्ते हैं. इसका कंद गोला और वजन 100 ग्राम तक होता है. गमले में भी काली हल्दी का पौधा लगाया जा सकता है.काली हल्दी बचाने के लिए कर रहे हैं प्रयास
किसान नागराज नखत बताते हैं कि कृषि से जुड़ा एक लेख पढ़ने के दौरान उन्हें पता चला कि 2016 में सरकार के द्वारा काली हल्दी को लुप्तप्राय प्रजाति की फसल में रखा गया है. इसके बाद उन्होंने काली हल्दी को लेकर उत्सुकता जताई, कई कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क किया जिसके बाद हल्दी मंगवाकर दो बीघे में खेती शुरू की. साथ ही अन्य किसानों को भी इसकी खेती करने के लिए जागरूक किया. इसकी खेती पीली हल्दी की खेती के जैसे ही की जाती है. मार्केट में 300 रुपये किलो से एक हजार रूपये किलो तक इसकी कीमत है.औषधीय गुण से है भरपूर
किशनगंज कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि काली हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर है. इसका उपयोग दवा बनाने के रूप में बड़े स्तर पर किया जाता है. काली हल्दी पीली हल्दी से कई गुणा ज्यादा गुणकारी है. काली हल्दी देखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है. इसका पौधा केले के पौधे के समान होता है. काली हल्दी मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में उपयोग की जाती हैं. इसका प्रयोग घाव, मोच, त्वचा, पाचन तथा लीवर की समस्याओं के निराकरण के लिए किया जाता है. जोड़ों में दर्द और जड़कन पैदा करने वाली बीमारी को दूर करने में भी काली हल्दी सहायक है.काली हल्दी का उपयोग
काली हल्दी अपने चमत्कारिक गुणों के कारण देश विदेश में काफी मशहूर है. काली हल्दी का उपयोग मुख्यत: सौंदर्य प्रसाधन व रोग नाशक दोनों ही रूपों में किया जाता है. काली हल्दी मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग की जाती है. काली हल्दी का प्रयोग घाव, मोच, त्वचा रोग, पाचन तथा लीवर की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है.
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