किशनगंज. नवजात और शिशु स्वास्थ्य प्रबंधन पर केंद्रित आईएमएनसीआई (इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ न्यूबॉर्न एंड चाइल्डहुड इलनेस) का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए उनकी भूमिका की सराहना की. जिले के प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान से तीन सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और तीन एएनएम ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया.
नवजात के स्वास्थ्य के लिए सशक्त हुए स्वास्थ्य कर्मी
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने प्रमाण पत्र वितरण के दौरान बताया कि प्रशिक्षण में स्वास्थ्य कर्मियों को नवजात और शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों की पहचान और उपचार की आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया. निमोनिया, डायरिया, कुपोषण, और नवजात की प्राथमिक देखभाल जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई. प्रतिभागियों को शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए न केवल उपचारात्मक बल्कि रोकथाम संबंधी उपायों की जानकारी भी दी गई.सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने कहा, “हर बच्चे का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है. आईएमएनसीआई प्रशिक्षण से स्वास्थ्य कर्मियों को जमीनी स्तर पर बेहतर सेवाएं देने में मदद मिलेगी. “जिले के हर स्वास्थ्य केंद्र से तीन सीएचओ और तीन एएनएम ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया, जिससे इस कार्यक्रम की पहुंच व्यापक और प्रभावी बनी. प्रतिभागियों ने बताया कि यह प्रशिक्षण उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने में बेहद मददगार साबित होगा.स्वास्थ्य जागरूकता में समुदाय की भूमिका
समुदाय में जागरूकता के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि सिर्फ स्वास्थ्य कर्मी ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को नवजात और शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा. इससे न केवल बच्चों की मृत्यु दर कम होगी, बल्कि उनकी वृद्धि और विकास भी बेहतर होगा.घर-घर पहुंचेगी स्वास्थ्य सेवाएं
प्रशिक्षण के बाद स्वास्थ्य कर्मी अब अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. वे समुदाय के बीच जाकर शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाएंगे. घर-घर जाकर माता-पिता को नवजात की देखभाल, पोषण, और टीकाकरण के महत्व की जानकारी देंगे.स्वस्थ समाज की ओर एक बड़ा कदम
आईएमएनसीआई प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य नवजात और शिशु मृत्यु दर को कम करना और समाज को स्वस्थ बनाना है. सिविल सर्जन ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले के स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को अपने ज्ञान को समुदाय तक पहुंचाने की अपील की.नवजात और शिशु स्वास्थ्य के प्रति लोगों में बढ़ेगी जागरूकता
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इसे नियमित रूप से आयोजित करने का निर्णय लिया है. साथ ही, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी इससे जोड़ने की योजना बनाई जा रही है.उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण न केवल स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है. इससे नवजात और शिशु स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और जिले में स्वस्थ समाज के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है