जिले में कालाजार के मिले चार नये रोगी

जिले में कालाजार के मिले चार नये रोगी

By Prabhat Khabar News Desk | May 25, 2024 10:05 PM

कालाजार मरीजों को इलाज के साथ श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है सहायता राशि

प्रतिनिधि, किशनगंज

जिले में जनवरी से मई तक कालाजार के 04 नए रोगी मिले हैं. ये रोगी जिले के बहादुरगंज, पोठिया, टेढ़ागाछ एवं दिघलबैंक के हैं. इसकी जानकारी जिला रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने दी. उन्होंने बताया कि तीन मरीज का इलाज हो चुका है. वहीं दिघलबैंक में पाए गये मरीज का इलाज जारी है. जिसका निरीक्षण उन्होंने स्वयं किया है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला के निर्देश पर सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने चारों प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को फोकल छिड़काव के निर्देश दिया गये है. साथ ही संभावित क्षेत्रों में लोगों को कालाजार से सुरक्षा के लिए जागरूक करते हुए घरों में छिड़काव करवाने में सहयोग करने के लिए सभी क्षेत्र की आशा और आंगनबाड़ी कर्मियों को भी निर्देश दिया गया है. दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं.

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने कहा कि कालाजार बीमारी बालूमक्खी के काटने से होने वाला रोग है. नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है. यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं. ऐसा लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है. ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है. इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहने के आवश्यकता होती है. इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है. मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है. जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से हो सकता है. छिड़काव अभियान के दौरान क्षेत्रों में ऐसे मरीजों की भी खोज की जायेगी और उन लोगों को तत्काल इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल भेजा जायेगा.

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि कालाजार के मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज आसानी से किया जाता है. इलाज के साथ ही कालाजार संक्रमित मरीजों को सरकार द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि भी प्रदान की जाती है. सरकार के द्वारा भीएल कालाजार से पीड़ित मरीज को 7100 रुपये की श्रम-क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है. यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है. वहीं पीकेडीएल कालाजार से पीड़ित मरीज को राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये की सहायता राशि श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाती है.

कालाजार के लक्षण

बुखार अक्सर रुक-रुककर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख लगना, वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता, कमजोरी, त्वचा सूखी, पतली और शुष्क होती है तथा बाल झड़ने लगते हैं. इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी होने लगती है. गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है. इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा अर्थात काला बुखार पड़ा है.

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