पूजा से मिलेगा कई गुना ज्यादा लाभ
बाज़ारों में दिखी चहल-पहल ठाकुरगंज.हरतालिका तीज व्रत को अखंड सौभाग्यवती होने का प्रतीक माना गया है. महिलाएं इस कठिन व्रत को रखकर देवी माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है. पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज व्रत हर वर्ष भादो माह की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरतालिका तीज व्रत आज यानी छह सितंबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. इस साल का यह व्रत बहुत ही ख़ास होने जा रहा है.धार्मिक मान्यता है कि इस योग में हरतालिका व्रत का पूजन करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होगा.अखंड सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन हस्त नक्षत्र,चित्रा नक्षत्र के युग्म संयोग और शुक्ल योग में हरतालिका तीज व्रत करेंगी.पति की लंबी आयु, सुखी दांपत्य जीवन और समृद्धि की कामना से निर्जला व्रत करेंगी. मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर पौराणिक कथाएं सुनेंगी.
पंडित घनश्याम झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि शुक्रवार को तृतीया तिथि दोपहर 12:18 बजे तक है, लेकिन सूर्योदय तृतीया तिथि में होने से उदयातिथि के मान के अनुसार, शुक्रवार को पूरे दिन तीज की पूजा करेंगी.तीज के दिन तृतीया और चतुर्थी तिथि के युग्म संयोग होने से इस दिन अति शुभकारी गौरी-गणेश योग बन रहा है.सुहागिन सुबह से लेकर रात तक कभी भी पूजा कर सकती हैं.ग्रह-गोचरों का बना उत्तम संयोग
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को उदय गामिनी तिथि, हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग, गर करण, अमृत योग के साथ रवि योग के सुयोग में हरतालिका तीज का व्रत मनाया जाएगा.हरतालिका तीज व्रत की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है.सबसे पहले माता पार्वती ने किया था तीज का व्रत
हरतालिका शब्द दो शब्दों के मेल से बना है.पहला शब्द है हरिण,जिसका अर्थ हरना या हरण करना होता है वहीं तालिका का अर्थ सखी के मेल से बना है.एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस तिथि को देवी माता पार्वती की सखियां ने उनके पिता हिमालय के घर से हरण करके जंगल ले कर आई थी.जहां पर देवी माता पार्वती ने कठोर तप किया और भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया.और उसी दिन से इसकी शुरुआत हुई.हरतालिका तीज व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव,देवी पार्वती और श्री गणेश जी की पूजा करती हैं.पूजा के लिए महिलाएं इन देवी-देवताओं की कच्ची मिट्टी से मूर्ति बनती हैऔर इनकी विधि-विधान से पूजन करती हैं.इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है.व्रत में किसी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है.व्रत के अगले दिन महिलाएं व्रत का पारण जल पीकर करती हैं और व्रत समाप्त करती हैं.हरतालिका तीज के व्रत में आठो पहर पूजन का विधान है. इस लिए इस व्रत में रात्रि जागरण करते हुए शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप या भजन करती हैं.
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