Kishanganj news : ओवरलोड वाहनों के लिए सेफ जोन बना एनएच 327ई

Kishanganj news :इस रास्ते से बिहार सीमा से कालाबाजारी के सरकारी चावल के अलावा मवेशी बंगाल और असोम भेजे जाते हैं.

By Sharat Chandra Tripathi | July 28, 2024 8:04 PM

Kishanganj news : बंगाल से आनेवाली सड़कें इन दिनों ओवरलोडेड वाहनों के परिचालन के लिए सेफ जोन बन गयी हैं. इसी कारण पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला किशनगंज जिला इन दिनों इंट्री माफियाओं के आतंक से जूझ रहा है़. सबसे ज्यादा असर एनएच 327 ई पर दिख रहा है. बंगाल की सीमा के प्रवेश स्थल गलगलिया के समीप चक्करमारी से इंट्री माफियाओं का खेल आरंभ हो जाता है. इससे राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. वजह यह है कि इंट्री माफियाओं और अधिकारियों के गठजोड़ से चावल और मवेशी लदे ट्रकों के अलावा गिट्टी, ईंट लदे ओवरलोड ट्रक व कंटेनर को बेरोकटोक इस रास्ते होकर गुजर रहे हैं. इसके एवज में ट्रक चालकों से मोटी रकम वसूली जाती है. जाहिर है कि प्रतिदिन लाखों की कमाई हो रही है. इस रास्ते से बिहार सीमा से कालाबाजारी के सरकारी चावल के अलावा मवेशी बंगाल और असोम भेजे जाते हैं. प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड ईंट लदे ट्रक बंगाल के साथ सिक्किम तक भेजे जा रहे हैं. बंगाल से आनेवाला बालू, गिट्टी किशनगंज पहुंचते ही इंट्री माफियाओं के लिए यह सोने में तब्दील हो जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि इस मामले में अधिकारी भी कुछ बोलने से कतराते हैं.

सफेदपोश भी इस धंधे में आजमा रहे दांव

बिहार-बंगाल सीमा पर चक्करमारी के समीप बंगाल सीमा पर लाइन होटलों में माफियाओं का अघोषित कार्यालय संचालित हो रहा है. इंट्री के धंधे में अब सफेदपोश भी अपना दांव आजमा रहे हैं. चक्करमारी के होटलों में बैठकर इंट्री का चक्कर चला रहे हैं. इस धंधे में कई गुट के लोग लगे हुए हैं. जानबूझ कर बंगाल क्षेत्र में कार्यालय संचालित होते हैं, ताकि किसी भी तरह की जांच-पड़ताल के लफड़े से बचा जा सके. ओवरलोड ट्रकों के चालक सबसे पहले इन्हीं कार्यालयों में संपर्क स्थापित करते हैं. ट्रक चालकों से राशि लेकर उन्हें कोड वर्ड दिया जाता है. किशनगंज जिले में तैनात परिवहन विभाग के अधिकारियों को कोड वर्ड का पता होता है. जब संबंधित ट्रक चालक किशनगंज की सीमा में पहुंचते हैं, तो अपना कोड वर्ड बताते हैं और वहां से बेरोकटोक पार कर जाते हैं. जो वाहन बिना कोई कोड के पकड़े जाते हैं, तो उनसे तय जुर्माना वसूला जाता है.

अधिक कमाई के चक्कर में चालक करते हैं समझौता

बताते चले एनएच 327 ई देश के व्यस्त राज मार्गों में शामिल है. इसी रास्ते से एक तरफ असोम, तो दूसरी तरफ दिल्ली के लिए वाहनों का परिचालन होता है. इसमें सबसे अधिक संख्या ट्रक व कंटेनरों की होती है. चावल, मवेशी, कोयला, लकड़ी, गिट्टी, लोहा , सीमेंट आदि का बड़े पैमाने पर इस मार्ग से परिवहन होता है, लेकिन अधिक लाभ के चक्कर में ये वाहन चालक परिवहन नियम की अवहेलना कर निर्धारित मात्रा से अधिक वजन लोड करते हैं. इसी वजह से मजबूरन जुर्माने से बचने के लिए वाहन चालकों को इंट्री माफियाओं के संग में जाना पड़ता है. वाहन चालकों को इससे लाभ तो हो ही रहा है, संबंधित विभागीय अधिकारी भी मालामाल हो रहे हैं.

बिहार से पश्चिम बंगाल तक फैला है माफियाओं का जाल

बिहार से पश्चिम बंगाल तक इंट्री माफियाओं का जाल बिछा हुआ है. सफेदपोश से लेकर कई दिग्गजों के संरक्षण में बेखौफ इनका खेल बेल की लत्ती के तरह फैला हुआ है. जड़ें इतनी मजबूत हैं कि किसी आलाधिकारी के आने की सूचना इन्हें पहले प्राप्त हो जाती है. किस मार्ग से कब गाड़ी निकालनी है, गाड़ी कहां तक पहुंची, इसकी भी जानकारी माफिया को मोबाइल के माध्यम से मिलती रहती है. इंट्री का खेल जिले में कितना बड़ा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस खेल में शामिल कल के खाकपति आज के करोड़पति हैं.

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