ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार में जुटी आशाएं: एनसीडी प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी
जिले में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की पहचान और रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण जारी है. 14वें बैच के प्रशिक्षण के दौरान मौके पर गैर-संचारी रोग अधिकारी (एनसीडीओ) डॉ. उर्मिला कुमारी ने प्रशिक्षण स्थल का दौरा किया.
आशाओं की भूमिका: स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़किशनगंज.जिले में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की पहचान और रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण जारी है. 14वें बैच के प्रशिक्षण के दौरान मौके पर गैर-संचारी रोग अधिकारी (एनसीडीओ) डॉ. उर्मिला कुमारी ने प्रशिक्षण स्थल का दौरा किया और सभी आशा कार्यकर्ताओं को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए उनके योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि आशा वर्कर स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं. आप सभी फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं, जो समुदाय स्तर पर एनसीडी स्क्रीनिंग, परिवार नियोजन, टीकाकरण, एचबीएनसी, और टीबी जैसी सेवाएं प्रदान कर रही हैं. आपके समर्पण से ग्रामीण स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आ रहा है.
हर घर तक पहुंच रहा स्वास्थ्य संदेश
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक्स (एनपीसीडीसीएस) के तहत जिले में 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जा रही है. यह कार्यक्रम पॉपुलेशन बेस्ड मास स्क्रीनिंग के माध्यम से गंभीर बीमारियों की पहचान और रोकथाम सुनिश्चित कर रहा है. प्रशिक्षण के दौरान गुरुवार को आशाओं को 05 सी-बैक फॉर्म भरने और उन्हें संबंधित एएनएम द्वारा एनसीडी एप्लीकेशन पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया. प्रत्येक एएनएम द्वारा 40-50 फॉर्म ऑनलाइन दर्ज किए जाएंगे. इससे जिले में स्वास्थ्य डेटा का प्रबंधन आसान होगा और मरीजों को समय पर इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा.
आशाओं की भूमिका: स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने कहा कि आशा कार्यकर्ता न केवल एनसीडी स्क्रीनिंग, बल्कि परिवार नियोजन, टीकाकरण, एचबीएनसी, और टीबी जैसे कार्यक्रमों के जरिए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बना रही हैं. डिजिटल डेटा के माध्यम से इन सेवाओं में और तेजी लाई जा रही है. गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने कहा कि आशाओं का यह प्रशिक्षण उन्हें सशक्त करेगा, जिससे वे बेहतर ढंग से बीमारियों की पहचान और रोकथाम में भूमिका निभा सकें.डिजिटल प्रक्रिया से इलाज में तेजी
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि सी-बैक फॉर्म भरने और एनसीडी एप्लीकेशन पर डेटा अपलोड करने से ग्रामीण स्तर पर मरीजों की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी. यह प्रक्रिया गंभीर बीमारियों के मामलों को प्राथमिकता देने और मरीजों को समय पर इलाज दिलाने में मददगार साबित हो रही है.जिलाधिकारी का संदेश: हर घर तक पहुंचे स्वास्थ्य सेवाएं
जिलाधिकारी विशाल राज ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना और लोगों को जागरूक करना हमारी प्राथमिकता है. आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम की भागीदारी से हम हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में सफल हो रहे हैं. माइक्रो प्लानिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से यह कार्यक्रम और प्रभावी बन रहा है.ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार की ओर मजबूत कदम
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने कहा कि एनसीडी स्क्रीनिंग के अलावा आशा कार्यकर्ता मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, लकवा और अन्य गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान कर उनके इलाज को संभव बना रही हैं. इसके साथ ही टीकाकरण, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, टीबी रोकथाम, और परिवार नियोजन जैसी सेवाओं में भी उनका योगदान अतुलनीय है.नववर्ष पर नई उम्मीदों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की ओर बढ़े कदम
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ उर्मिला कुमारी ने सभी आशाओं को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए उनके कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि आपकी मेहनत और समर्पण से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं लगातार मजबूत हो रही हैं. 2024 में हम और बेहतर परिणामों की उम्मीद करते हैं.उन्होंने बताया कि एनसीडी प्रशिक्षण कार्यक्रम और आशाओं की सक्रिय भागीदारी से जिले में स्वास्थ्य सेवाएं नए स्तर पर पहुंच रही हैं. ग्रामीण समुदायों में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने और गंभीर बीमारियों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए यह पहल मील का पत्थर साबित हो रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है