मनचाही संतान के लिए सीमा पार कर रहे भारतीय

मनचाही संतान के लिए सीमा पार कर रहे भारतीय

By Prabhat Khabar News Desk | April 27, 2024 10:22 PM

ठाकुरगंज. देश में भ्रूण का लिंग परीक्षण अपराध है, लेकिन नेपाल में नहीं. इसी का फायदा उठा रहे मनचाही संतान की इच्छा रखनेवाले दंपती. ये नेपाल जाकर बेखौफ भ्रूण का लिंंग परीक्षण कराते हैं. किशनगंज जिले से सटे नेपाल के झापा जिले में चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर लिंग परीक्षण करानेवालों की भीड़ देखी जा सकती है. दरअसल, भारत के सीमांचल में बसे गांवों में भ्रूण हत्या की वजह से बीते एक दशक में लिंगानुपात बिगड़ गया है. आंकड़े भी यही कह रहे हैं. 2011 के सामाजिक, आर्थिक, जाति आधारित जनगणना के अनुसार भारतीय क्षेत्र में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 940 है. वही बिहार में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर अब 953 हो गई है. तो किशनगंज में प्रत्येक 1,000 पुरुष पर 946 महिलाओं का लिंग अनुपात है. ये हालात बेटों की चाह के कारण पैदा हुई है. और बेटों के चाह में मनचाही संतान की चाह रखने वाले भारतीय नेपाल के अल्ट्रासाउंड जांच घरोंं पर जाते हैं और भ्रूण का लिंग परीक्षण कराते. मनचाही संतान नहीं होने की सूचना पर वहीं गर्भपात करा दिया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, प्रतिमाह तकरीबन चार दर्जन दंपती यह परीक्षण कराने भारत से चोरी-छिपे नेपाल जाते हैं. नेपाल के अल्ट्रासाउंड सेंटरों की कमाई ऐसे भारतीयों पर ही टिकी है. अल्ट्रासाउंड की तीन से चार हजार तक लेते फीस नेपाल में सामान्य अल्ट्रासाउंड की फीस एक हजार रुपये है. लेकिन, भ्रूण जांच करवाने वालों से तीन से चार हजार रुपये तक वसूले जाते हैं.

भ्रूण जांच कराने को लेकर देश का कानून

गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना गुनाह है. भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है. इसके तहत 3 से 5 साल तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. गर्भवती स्त्री का जबर्दस्ती गर्भपात कराना अपराध है. ऐसा करने पर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. धारा 313 के तहत गर्भवती महिला की मर्जी के बिना गर्भपात करवाने वाले को आजीवन कारावास या जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है. धारा 314 के तहत गर्भपात करने के मकसद से किये गए कार्यों से अगर महिला की मौत हो जाती है तो दस साल की कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. आईपीसी की धारा 315 के तहत शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के बाद उसकी मृत्यु मकसद से किया गया कार्य अपराध होता है, ऐसा करने वाले को दस साल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकता है.

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