जैन पर्युषण पर्व:- चेतना दिवस के रूप में मनाया गया पांचवा दिन

अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया गया.इस दौरान तेरापंथ भवन में उपासक द्वय ने अणुव्रत आंदोलन के इतिहास के बारे में उपस्थित श्रावक समाज को बताया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 5, 2024 8:26 PM

किशनगंज.जैन पर्युषण पर्व का पांचवा दिन गुरुवार को अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया गया.इस दौरान तेरापंथ भवन में उपासक द्वय ने अणुव्रत आंदोलन के इतिहास के बारे में उपस्थित श्रावक समाज को बताया.उन्होंने अपने प्रवचन में स्मरण करवाते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य,आचार्य श्रीतुलसी अणुव्रत आंदोलन के जनक थे.1 मार्च, 1949 को राजस्थान के सरदार शहर में उन्होंने ‘अणुव्रत’ के रूप में एक नये आन्दोलन का सूत्रापात किया. विस्तारपूर्वक अणुव्रत के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अणुव्रत निर्विशेषण धर्म है,डा. जाकिर हुसैन ने भी इसे मानव को मानव बनाने का कारखाना बताया था. छोटे छोटे व्रतों से संयम की चेतना विकसित करना ही अणुव्रत है.अणुव्रत आंदोलन का इतिहास बताते हुए उपासक सा ने कहा-नैतिक मूल्यों की स्थापना और चरित्र निर्माण में अणुव्रत आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.व्यसन मुक्त समाज का निर्माण करना भी अणुव्रत का एक बड़ा उद्देश्य है.व्याख्यान के समापन पर उपासक द्वय ने उपस्थित समुदाय को अणुव्रत दिवस पर तीन कार्य करने की प्रेरणा दी.पहला कार्य चरित्रवान बनना,दूसरा व्यवहार शुद्ध बनना और तीसरा धर्म समन्वय रखते हुए जप-तप कर अपनी आत्मा का उत्थान करना.बताते चलें कि जैन धर्म का आठ दिवसीय पर्युषण पर्व प्रगति पर है.इसी के मद्देनजर उपासक सा सुशील कुमार बाफना व सुमेरमल बैद का किशनगंज में अल्प प्रवास पर है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version