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भूकंप के सर्वाधिक खतरनाक सिस्मिक जोन-5 में है किशनगंज

बीते कुछ सालों से जिले से सटे पड़ोसी देश नेपाल और सिक्किम-दार्जिलिंग में आ रहे भूकंप के झटके और भूकंप का केंद्र पहाड़ी इलाके में होने से नेपाल सीमा से सटे बिहार के आठ जिलों पर भूकंप का सर्वाधिक खतरा है.

किशनगंज.बीते कुछ सालों से जिले से सटे पड़ोसी देश नेपाल और सिक्किम-दार्जिलिंग में आ रहे भूकंप के झटके और भूकंप का केंद्र पहाड़ी इलाके में होने से नेपाल सीमा से सटे बिहार के आठ जिलों पर भूकंप का सर्वाधिक खतरा है. इसमें किशनगंज जिला भी शामिल है. जानकारों की मानें, तो नेपाल की तराई से सटे किशनगंज जिले में भूकंप आने और उसके बाद होनेवाले नुकसान की आशंका सबसे प्रबल है, क्योंकि ये भूकंप के सर्वाधिक खतरनाक सिस्मिक जोन-05 में अंकित है, जहां रिक्टर स्केल-08 या उससे भी अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है. साल 2015 में कुछ समय के अंतराल पर करीब आधा दर्जन बार जिले की धरती हिली और पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी भूकंप के झटकों से पूरी तरह तबाह हो गयी थी. फिर साल 2016 में भी धरती के झटकों ने लोगों को दहला दिया था. साल 2018 और 2021 में भी यहां की धरती कांप चुकी है.

नेपाल से सटे बिहार के सभी जिले डेंजर समूह में

किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी समेत उत्तर बिहार के सभी जिले भूकंप के सर्वाधिक खतरनाक जोन में शामिल हैं. सिस्मिक जोनिंग मैपिंग में भूकंप की आशंका को चार स्तरों में विभाजित किया गया है. जोन-04 और 05 ऐसा क्षेत्र है, जहां भूकंप आने की आशंका सबसे ज्यादा है और किशनगंज जिला इसी जोन के तहत आता है.

भूकंप रोधी भवन निर्माण पर देना होगा जोर

विशेषज्ञ बताते हैं कि रेट्रोफिटिंग द्वारा यहां पुराने मकानों को आपदा रोधी, भूकंप रोधी बनाया जा सकता है. नये मकानों का निर्माण भूकंपरोधी तरीके से होना चाहिए. जर्जर भवनों का सर्वे होना नितांत आवश्यक है.

पैनिक न हों, सूझ-बूझ से लें काम

भूकंप या कोई भी प्राकृतिक आपदा बता कर नहीं आती. ऐसे समय में एकदम से समझ नहीं आता कि क्या किया जाये, लेकिन जानकारी व सूझ-बूझ से ऐसे हालात से निबटा जा सकता है. मकान, दफ्तर या किसी भी इमारत में अगर आप मौजूद हैं, तो वहां से बाहर निकलकर खुले में आ जाएं. खुले मैदान की ओर भागें. भूकंप के दौरान खुले मैदान से ज्यादा सेफ जगह कोई नहीं होती. किसी बिल्डिंग के आसपास न खड़े हों. अगर आप ऐसी बिल्डिंग में हैं, जहां लिफ्ट हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल कतई न करें. ऐसी स्थिति में सीढ़ियों का इस्तेमाल ही सुरक्षित होता है. घर के दरवाजों और खिड़कियों को खुला रखें. घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें. अगर बिल्डिंग बहुत ऊंची हो और तुरंत उतर पाना मुमकिन न हो तो बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं. भूकंप के दौरान लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं. ऐसे में स्थिति और बुरी हो सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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