Kishanganj news : परेशानी का सबब बनी ऑनलाइन हाजिरी, उपस्थिति दर्ज करने को ऐप से जूझ रहे शिक्षक

Kishanganj news : मंगलवार को जिले के कुल 9057 शिक्षकों में से मात्र 4674 शिक्षक ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर पाये.

By Sharat Chandra Tripathi | September 24, 2024 10:20 PM

Kishanganj news : शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में पढ़ानेवाले शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है. मंगलवार को किशनगंज जिले के कुल 9057 शिक्षकों में से मात्र 4674 शिक्षक ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर पाये. ये हालात मंगलवार को इस ऐप में पैदा हुई तकनीकी समस्या के कारण हुई है. बता दें कि शिक्षा विभाग के ई-शिक्षा कोष सर्वर और एप में ज्यादातर समस्याएं तकनीकी खराबी, लोकेशन, सर्वर की समस्या और एप स्लो होने की आ रही है. इससे शिक्षक परेशान हैं.

लोकेशन बन रहा सिरदर्द की वजह

ई-शिक्षा कोष ऐप में लैटिट्यूड और लांगीट्यूड की समस्या सबसे अधिक आ रही है. इस वजह से शिक्षकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आश्चर्य की बात है कि कई स्कूल के शिक्षकों का लोकेशन 1000 मीटर दूर, तो कई का 2000 मीटर दूर दिखाता है.

25 जून से किया गया है अनिवार्य

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने ई शिक्षा कोष ऐप को 25 जून से अनिवार्य रूप में लागू किया था. इसके पहले ट्रायल भी किया गया था. सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को 25 जून से ऑनलाइन अटेंडेंस बनाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से ई-शिक्षाकोष पोर्ट (ऐप) विकसित किया गया है. एप्लीकेशन की मॉनीटरिंग जिला शिक्षा कार्यालय को करनी है. ऐप पर शिक्षकों की उपस्थिति देखी जाएगी. शिक्षा विभाग के निर्देश पर हर जिला शिक्षा कार्यालय में ई शिक्षा कोष सेल बनाया गया है.

कैसे काम करता है एप्लीकेशन

ई शिक्षा कोष एप्लीकेशन और पोर्टल पर हाजिरी बनाने के लिए शिक्षकों को संबंधित विद्यालय के पांच सौ मीटर के दायरे में रहना अनिवार्य है. शिक्षक को उनके मोबाइल स्क्रीन पर दो बटन दिखाई देते हैं. एक स्कूल इन और दूसरा स्कूल आउट. विद्यालय में उपस्थित रहने की स्थिति में प्रधानाध्यापक और शिक्षक सेल्फ अटेंडेंस को चुनते हुए बटन को क्लिक करते हैं. इसके बाद सेल्फी कैमरा खुलेगा. सेल्फी मोड में फोटो क्लिक करना होता है. सेल्फी कैमरा से खींचा गया फोटो ऐप पर लोड हो जाएगा और शिक्षकों का अटेंडेंस बन जाएगा. शिक्षकों को यह काम दो बार करना होता है. स्कूल पहुंचने पर और स्कूल से जाते वक्त.

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