आठ दिनों तक चलने वाला पर्युषण पर्व संवत्सरी के साथ हुआ सम्पन्न
.महापर्व के रूप में मनाया जाने वाला पर्युषण पर्व सम्पन्न हो गया है.रविवार को संवत्सरी और सोमवार को मैत्री दिवस मनाकर पर्युषण पर्व का समापन हो गया है.
किशनगंज.महापर्व के रूप में मनाया जाने वाला पर्युषण पर्व सम्पन्न हो गया है.रविवार को संवत्सरी और सोमवार को मैत्री दिवस मनाकर पर्युषण पर्व का समापन हो गया है.पूरबपाली स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी के दिशा निर्देश पर उपासक द्वय सुशील कुमार बाफना और सुमेरमल बैद के सानिध्य में आठ दिनों तक पर्युषण पर्व मनाया गया।आपको बता दें कि पर्युषण पर्व का प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस,दूसरा दिन स्वाध्याय, दिवस जैन पर्युषण पर्व का तीसरा दिन सामयिक दिवस, चौथा दिन वाणी संयम दिवस,पांचवा दिन अणुव्रत चेतना दिवस पर्युषण पर्व का छठा दिन जप दिवस,सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया. पर्युषण पर्व का अंतिम दिवस संवत्सरी,मैत्री दिवस और क्षमापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.उपासक द्वय ने बताया कि पर्युषण पर्व के सातवें दिन सूर्यास्त के बाद और नवें दिन सूर्योदय से पूर्व तक(36 घण्टे) निराहार रहकर संवत्सरी मनाया जाता है.यह जैन का महापर्व है.निराहार रहकर भी श्रावक समाज इसे उल्लासपूर्वक मनाता है.उपवास करने की विधि का युगों से लोग प्रयोग कर रहे हैं.राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उपवास करते थे और साथ ही सभी को इसके लिए प्रेरणा देते थे.उपवास की क्रिया से शरीर को आराम मिलता है और उपवास के बाद शरीर मे नई ऊर्जा का संचार होता है.कई रोगों के निवारण में उपवास की महत्ता है।उपवास की समाप्ति के बाद सभी एक दूसरे से आपस मे क्षमा मांगते हैं.मन से वचन से और कर्म से हुई त्रुटियों को स्वीकार कर क्षमा मांगना ही पर्युषण पर्व का सार है.
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