बंदरझूला पंचायत का सीमावर्ती इलाका आज भी विकास क रोशनी है दूर, जर्जर कच्ची सड़क से होकर गुजरने को मजबूर लोग

ठाकुरगंज प्रखंड के ग्राम पंचायत बंदरझूला का सीमावर्ती इलाका आजादी के सत्तर वर्षों बाद भी विकास की रौशनी से काफी दूर है जहां एक अदद पक्की सड़क के लिए आज भी ग्रामीण तरसते नजर आ रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 26, 2024 7:54 PM

पौआखाली. ठाकुरगंज प्रखंड के ग्राम पंचायत बंदरझूला का सीमावर्ती इलाका आजादी के सत्तर वर्षों बाद भी विकास की रौशनी से काफी दूर है जहां एक अदद पक्की सड़क के लिए आज भी ग्रामीण तरसते नजर आ रहे हैं. यहां ऊबड़ खाबड़ गड्ढे वाली कच्ची सड़क पर होकर आवागमन करना ग्रामीणों की मजबूरी है. दरअसल, बात हो रही है भारत- नेपाल सीमा से सटा कद्दूभिट्ठा हाट से पूरब दिशा की ओर बाड़ीजमीन गांव तक जाने वाली कच्ची सड़क की. जिनकी अनुमानित लंबाई करीब डेढ़ दो किलोमीटर है. इस सड़क को बनाने की दिशा में इलाके के जनप्रतिनिधियों ने आजतक अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी. जिस कारण यह इलाका वर्षों से उपेक्षित महसूस कर रहा है. इस आधुनिक युग में और सुशासन की सरकार में सीमावर्ती बाड़ीजमीन गांव के ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल और घर के रोगियों को अस्पताल पहुंचाने में इसी कच्ची सड़क का इस्तेमाल करने को बाध्य है. इतना ही नहीं पेशे से लगभग ग्रामीण किसान हैं तो उनके लिए खरीद बिक्री के लिए बाजार तक फसलों को लाने ले जाने में भी यही कच्ची सड़क एकमात्र साधन है. परेशानी इतनी है कि बरसात के दिनों में कच्ची सड़क पर जहां कहीं भी गड्ढे हैं वहां जल जमाव की हो जाता है. ट्रैक्टरों के चलने से बाड़ीजमीन की कच्ची सड़क की स्थिति दयनीय हो गई है. इस संबंध में मुखिया इकरामुल हक ने कहा कि सड़क की लंबाई करीब दो किलोमीटर है और एकसाथ इतनी लंबी सड़क का पंचायत फंड से निर्माण संभव नहीं है. सड़क को बनाने के लिए खंड खंड में निर्माण की आवश्यकता पड़ेगी. वैसे बीडीओ ठाकुरगंज को सड़क की स्थिति की जानकारी दी गई है किंतु, कैसे और कबतक इस कच्ची सड़क का उद्धार हो पाएगा, इसके लिए तबतक ग्रामीणों को इंतजार करना होगा.

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