नीतीश कुमार के दौरे को लेकर आशान्वित हैं दल्लेगांव के लोग
मंगलवार को सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ठाकुरगंज शहर से सटे पटेसरी पंचायत के कटहलडांगी गांव आ रहे है. तैयारियों को अंतिम रूप देने मे अधिकारी लगे है. वही मुख्यमंत्री के इस दौरे को लेकर पटेसरी से ज्यादा उत्साहित दल्लेगांव के निवासी है.
बरसात के दिनों में भारत से कट जाता है यह पंचायत ठाकुरगंज . मंगलवार को सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ठाकुरगंज शहर से सटे पटेसरी पंचायत के कटहलडांगी गांव आ रहे है. तैयारियों को अंतिम रूप देने मे अधिकारी लगे है. वही मुख्यमंत्री के इस दौरे को लेकर पटेसरी से ज्यादा उत्साहित दल्लेगांव के निवासी है. इन गांव वालों को उम्मीद है कि नीतीश कुमार के दौरे से न सिर्फ पटेसरी के लोगों के दिन फिरेंगे न सिर्फ ठाकुरगंज शहर के बाईपास की वर्षो पुरानी मांग सरजमीं पर उतरेगी बल्कि नेपाल की सीमा से सटे दल्लेगांव का कालापानी का दाग भी मिटेगा. सरकार के विकास के तमाम दावे के बीच दल्लेगांव पंचायत की जिंदगी आज भी नाव पर टिकी है.सबसे बुरा हाल बरसात के वक्त होता है, जब कोई मैय्यत होने पर लाश को मृतक के गांव सड़क मार्ग के बदले नाव के सहारे उसके गांव में लाया जाता है.
क्या है मामला
2019 में मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत 24 करोड़ के लागत से पुल निर्माण का कार्य तो चालू हुआ था मगर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया. इस मामले में ग्रामीणों ने बताया की वर्ष 2020 में सड़क का निर्माण कार्य सुखानी से दल्लेगांव तक संवेदक द्वारा कार्य कराया गया था, योजना में पुल निर्माण के साथ एप्रोच पथ का निर्माण भी संवेदक को करना था लेकिन पुल का निर्माण तो हो गया लेकिन एप्रोच का काम जमीनी विवाद के कारण नहीं हो सका और इसका असर यह हुआ कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय दल्लेगांव से डॉक्टर फिरोज के घर तक पुल का एप्रोच पथ तैयार नहीं हो पाया और एप्रोच नहीं होने का असर यह हुआ की नदी ने अपनी धारा ही बदल दी.
एप्रोच पथ नहीं बनने के कारण बेकार हुई लाखो की राशि
बताते चले दल्लेगांव पंचायत के एक बड़ी आबादी को मेची नदी पर बने अधूरे पुल से परेशानी हो रही है. चाहे बीमार व्यक्ति को चिकित्सीय सेवा की बात रही हो या किसी अन्य आपदा में भवानीगंज, बैगनबाड़ी , दल्लेगांव , तेलीभीट्टा पाठामारी जेसे गांवों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस मामले में विचारणीय विषय यह भी है की पुल, सड़क, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं के घोर अभाव के कारण यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं. अपनी बदहाली देख कभी-कभी यहां के लोग यह भी सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि वे इसी भारत देश के नागरिक है या नहीं.लड़के लड़कियों की शादी में हो रही परेशानी
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 77 वर्ष बीत जाने के बाद भी चचरी पुल के सहारे आवागमन करना पड़ रहा है. गांव में सड़क नहीं है. बरसात के दिनों में प्रखंड व जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है. जरुरत की सामग्रियों के लिए नावों के सहारे शहर अथवा हाट बाजार जाकर खरीदारी करनी पड़ती है. हमारे गांव में काफी लोग सुखी संपन्न हैं पर आवाजाही की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से हमारे यहां कोई शादी विवाह करने को तैयार नहीं होते हैं. बीमार व्यक्ति अथवा गर्भवती महिला को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए खाट का सहारा लेकर नदी पार कराया जाता है.इस मामले में केवल मिला आश्वाशन
इस मामले में पंचायत की मुखिया सोगरा नाहिद कहती है की अब तक केवल हमें अपने जनप्रतिनिधियों से मात्र आश्वासन ही मिला. विकास के नाम पर हमलोगों का वोट लेकर नेता भूल जाते हैं. मुखिया कहती है की दल्लेगांव पंचायत के कुल ग्यारह वार्डों में से वार्ड नंबर- एक, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस व ग्यारह कुल 08 वार्ड के मतदाताओं ने 19 के लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार किया था . उन्होंने कहा की मेची नदी पर पुल न होने के कारण बरसात के दिनों में जीवन नारकीय बन जाता है. नौ महीने चचरी व बरसात के तीन महीने नाव का सहारा लेते हैं. सांसद और विधायक के आश्वासन के बावजूद पुल का निर्माण नहीं कराया गया.
2019 के लोकसभा चुनाव में हो चूका है बहिष्कार
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पुल निर्माण की मांग को लेकर काम नहीं तो वोट नहीं के तहत ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या-167 के 1218 वोटर, मतदान केंद्र संख्या-168 के 1026 वोटर, मतदान केंद्र संख्या-169 के 1249 वोटर और मतदान केंद्र संख्या-170 के 806 वोटर यानी कुल 4299 वोटरों ने मतदान का बहिष्कार किया था. अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सरकार के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी चेताते हुए अपनी बात रखी कि अगर आगे भी इस क्षेत्र की अनदेखी की जाएगी तो हम लोकतांत्रिक परिभाषा में जवाब देंगे.
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