ठंड में सीमांचल के लोग चाव से ले रहे भक्के का स्वाद
सर्दियों का मौसम हो और जुबां पर भक्का के स्वाद का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. जी हां, भक्का जिसे सीमांचल का इडली भी कहा जाता है.
पौआखाली. सर्दियों का मौसम हो और जुबां पर भक्का के स्वाद का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. जी हां, भक्का जिसे सीमांचल का इडली भी कहा जाता है. भक्का जिसे सीमांचल का सबसे स्वादिष्ट देसी डिश भी माना जाता है, जो सुबह की चाय के साथ व गुड़ और मछली के साथ खाए जाने के लिए प्रचलित है. भक्का अरवा चावल गुड़ और पानी के भांप से तैयार किया जाता है. इन दिनों भक्के की हाट बाजारों में खूब बिक्री है और इसकी डिमांड हर साल सर्दियों के मौसम में बढ़ जाती है. बिना तेल मसाले से बनने वाला भक्का सेहत के लिए नुकसानदायक नही है. शायद यही वजह है कि लोग इसके स्वाद से नही चूकते हैं. चूंकि सर्दियों में ही इसे बनाया जाता है इसलिए भी यह डिश लोगों के लिए स्पेशल हो जाता है और यही वजह है कि घरों में मछली के साथ भक्का खाने का दावत का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. लोग मित्रों और रिश्तेदारों के घर भी भक्के का आदान प्रदान करते हैं, भक्के के दावत पर खूब मेहमान नवाजी भी होता है. लोग भक्के को सुबह चाय और दूध के साथ भी बड़े ही चाव से खाते हैं और रात्रि भोजन में मछली के साथ सब्जियों के साथ भी खाते हैं. भक्के को बासी मछली की तरकारी के साथ भी परोसा जाता है जो काफी स्वादिष्ट बन जाता है. गौरतलब है कि भक्के को महिलाएं ही बनाती है घर की बात छोड़ दी जाए तो हाट बाजारों में भी भक्के को बनाने से लेकर बिक्री का काम भी महिलाएं ही करती हैं. भक्का आय का स्रोत भी है बाजार में एक भक्के की कीमत पांच रुपए है और एक दिन में सुबह और शाम दो अलग अलग समय में दर्जनों भक्के बेचकर महिलाएं जो आय अर्जित करती हैं उनसे वो अपने परिवार की आजीविका चलाने में सहयोग प्रदान करती हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है