किशनगंज.जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पहले से ज्यादा गुणात्मक सुधार हुआ है. हालांकि अभी भी कई स्तर से सुधार करने की आवश्यकता है. इसके लिए विभागीय स्तर सहित स्थानीय एमओआईसी के नेतृत्व में लगातार कार्य किया जा रहा है. स्वास्थ्य संस्थानों में नियमित रूप से सुधार करने को लेकर जिलास्तरीय पीअर असेस्मेंट दल के सदस्य डीडीए सह प्रभारी डीक्यूएसी सुमन सिन्हा एवं पंकज शर्मा जिला समन्वयक आरबीएसके के द्वारा संयुक्त रूप से जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिघल्बेंक एवं बहादुरगंज का गहनतापूर्वक अवलोकन कर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है.
सार्वजनिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए कायाकल्प योजना की हुई थी शुरुआत
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी नागरिकों व विभिन्न बीमारियों का उपचार कराने वाले मरीज़ों को कोई परेशानी नहीं हो इसका विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है. जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में रखरखाव को लेकर विभागीय स्तर पर पदाधिकारियों सहित चिकित्सकों और कर्मियों को अनिवार्य रूप से दिशा-निर्देश दिया गया है. बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए साफ़-सफ़ाई एवं सरकारी अस्पतालों में संक्रमण रोकने के लिए किए गए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई थी. इसको लेकर जिले के दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र , एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 03 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पियर असेस्मेंट टीम के द्वारा कायाकल्प योजना के तहत भ्रमण किया जाना है.स्वास्थ्य संस्थानों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना विभाग की पहली प्राथमिकताओं में शामिलपियर असेस्मेंट दल के सदस्य , डीडीए सह प्रभारी डीक्यूएसी ने सुमन सिन्हा ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभागीय स्तर पर स्वच्छता, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, हॉस्पिटल इंफेक्शन, मरीजों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों के उत्तम व्यवहार को फोकस किया जाता है. क्योंकि स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छ व शुद्ध पेयजल की उपलब्धता, परिसर की साफ-सफाई का इंतजाम, शौचालयों में स्वच्छता की सुविधा सहित अस्पताल में शांत व स्वच्छ वातावरण के निर्माण के आधार पर कायाकल्प कार्यक्रम के तहत संस्थानों का आकलन किया जाता है. सरकार की मंशा भी यही है कि राज्य की जनता को स्वास्थ्य संस्थानों में किसी तरह से कोई परेशानी नहीं हो. इसके लिए स्वच्छता, शुद्ध पेयजलापूर्ति, स्वास्थ्य संस्थानों के कर्मियों का व्यवहार सुगम होना चाहिए. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों या अन्य कर्मियों के द्वारा मरीजों के साथ सहजता या विनम्रतापूर्वक व्यवहार करने से अधिकांश बीमारियां ऐसे ही ठीक हो जाती हैं.
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