ब्लड बैंक की बदलेगी तस्वीर: डॉ एनके गुप्ता

सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में अब जल्द ही एक यूनिट से एक साथ चार लोगों की जान बचाई जा सकेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 10, 2024 7:33 PM

किशनगंज.जिले में सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में अब जल्द ही एक यूनिट से एक साथ चार लोगों की जान बचाई जा सकेगी. इसके लिए शुक्रवार को अपर परियोजना निदेशक बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी, पटना डॉ एनके गुप्ता, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन, डॉ मंजर आलम, रेडक्रॉस सोसाइटी के जिला सचिव आभास कुमार साहा उर्फ मिक्की साहा ने संयुक्त रूप से सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में कम्पोनेंट और सेपरेशन यूनिट की बिल्डिंग बनाने के लिए भूमि का निरीक्षण किया.

डा गुप्ता ने कहा कि जल्द ही जिला प्रशासन की मदद से ब्लड सेपरेशन यूनिट कार्य के लिए डीपीआर का निर्माण किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस यूनिट के बन जाने से एक ब्लड यूनिट से चार चीजें अलग कर करने की सुविधा मिल सकेगी. इसमें पीआरबीसी, एफएफपी, प्लेटलेट्स, क्राओपीसीपीटल को अलग- अलग किया जा सकेगा. इससे एक ही यूनिट ब्लड से चार लोगों की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. इस दौरान ब्लड बैंक के रेनुअल की प्रक्रिया पर भी बिस्तार से चर्चा की गयी.

जनवरी से मई तक संग्रह हुए 1205 यूनिट ब्लड

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि जिला में सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक से मरीजों को रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर प्रकार से प्रयासरत है. अस्पताल में ब्लड बैंक की स्थिति को बेहतर बनाने में स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों सहित आमजन की सहभागिता बढ़ी है.

प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 जनवरी माह से मई तक रक्तदान के लिए आयोजित किये जाने वाले शिविरों, स्वैच्छिक रक्तदान एवं रिप्लेसमेंट के माध्यम से 1205 यूनिट रक्त संग्रह किये जा सके. इसमें एक हजार 1194 यूनिट रक्त की आपूर्ति विभिन्न मरीजों को की गयी. अब तक 35 दिन तक ही सुरक्षित रखा जा सकता था. कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट लगने के बाद सेगम की सहायता से 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा.

एफएफपी- फ्रेल फ्रोजल प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसका उपयोग बर्नकेस और हेपेटिक सर्जर में होता है.

प्लेटलेट्स- इसको पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका प्रयोग ल्यूकिमा कैंसर, डेंगू, बोनमैरो में आता है.

क्राउसीटीपएट- इसको एक साल तक डीप फ्रिजर में 30 सेंटीग्रेड तापमान पर रख सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका उपयोग हीमोफीलिया फ्रीब्रारिन जिमीया में काम आता है.

आधारभूत संरचना में बदलाव से बढेगा विश्वास

भीविडीसीसीओ डॉ मंजर आलम ने बताया की सदर अस्पताल स्थित इस ब्लड बैंक कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की स्थापना से यहां रक्त देने वालों के लिए आधुनिक मशीनें तथा अन्य जरूरी सुविधाएं बढ़ेगी . इससे रक्तदाताओं का ब्लड बैंक पर विश्वास बढेगा. विभाग के द्वारा कई गंभीर प्रयास किये जाने के स्थिति बदलेगी. वहीं ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं. इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं. सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है. इससे ब्लड परत दर परत (लेयर बाई लेयर) हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं. जरूरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है. निकले गए रक्त के प्रत्येक तत्व की अलग-अलग जीवन अवधि होती है. एक यूनिट 3 से 4 लोगों की जरूरत पूरी कर सकती है.

जिले में अक्सर रहती है ब्लड की कमी

रेडक्रॉस सोसाइटी के जिला सचिव आभास कुमार साहा ने बताया कि सदर अस्पताल के ब्लड बैंक की क्षमता 500 यूनिट की है. कुछ साल पहले तक लैब से जहां महज 200 से 250 यूनिट की मांग होती थी तो वहीं अब ये मांग बढ़ गई है. रक्तदान करने वालों का आंकड़ों में हर साल वृद्धि हो रही है लेकिन इसका असर ऐसे रक्तदाताओं पर नहीं पड़ता दिखता जो जरूरत पड़ते ही तुरंत लोगों की जान बचाने रक्तदान करने दौड़ पड़ते हैं. ऐसे रक्तदाताओं की संख्या भी कम नहीं है. जिले में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी पूरी सूची रेडक्रॉस सोसाइटी में उनके ब्लड ग्रुप के साथ मौजूद है. इसके साथ ही रक्तदाता भी है जो मोबाइल पर एक मैसेज मिलते ही रक्तदान के लिए अस्पताल की ओर दौड़ पड़ते है. लेकिन फिर भी ब्लड बैंक में रक्त की कमी रहती है.

ब्लड कॉम्पोनेंटसेपरेशन यूनिट के लिए 3 कमरा 150 वर्गमीटर में होना अनिवार्य है

डॉ एनके गुप्ता अपर परियोजना निदेशक बिहार राज्य एड्स कण्ट्रोल सोसाइटी , पटना ने बताया कि ड्रग्स एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत रक्त अधिकोष में कम से कम 7 कमरे के लिए 100 वर्गमीटर तथा ब्लड कॉम्पोनेंटसेपरेशन यूनिट के लिए 3 कमरा 150 वर्गमीटर में होना अनिवार्य है, लेकिन सदर अस्पताल स्थिति ब्लड बैंक इस कैरेटेरिया को पूरा नहीं कर पा रहा है. जल्द ही क्षेत्रफल बढ़ाया जायेगा ताकि मानक को पूरा किया जा सके. उन्होंने बताया कि 100 वर्ग मीटर के लिए ब्लड बैंक का विस्तार, भवन का रंग रोगन, भवन, खिड़की, दरवाजा आदि की मरम्मत, आवश्यक फर्निचर का क्रय और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था शामिल है. विभागीय जानकारी के मुताबकि मानक को पूरा नहीं करने के कारण ब्लड बैंक का रजिस्ट्रेशन रिन्युअल नहीं हो पाया है. हालांकि रिन्युअल के लिए निर्धारित राशि व आवश्यक दस्तावेज विभाग को सौंप दिया गया है.

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