विश्व सीओपीडी दिवस पर भेंट वार्ता में दी जानकारी.
जागरूकता के अभाव में इस बीमारी की जद में आ रहें हैं लोग.धुआं और धूम्रपान से करें खुद का बचाव.
हवाएं हो रही है जहरीलीकिशनगंज. 23वां वर्ल्ड सीओपीडी दिवस बुधवार को मनाया गया तथा धूम्रपान और वायु प्रदूषण किस प्रकार खतरनाक और जानलेवा है इसके बारे में लोगों को जागरूक किया गया.स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही के कारण पूरी दुनिया में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों की संख्या आज करोड़ों में है.बीड़ी, सिगरेट और धूम्रपान लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है.वहीं,बढ़ता प्रदूषण भी लोगों की सांस की नली और फेफड़ों को चोक कर दम घोट रहा है.सीओपीडी शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है.शुरुआती दौर में पहचान हो जाने से इस पर काबू पाना संभव है.लेकिन गंभीर होने पर यह लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है या फिर उनकी जान भी ले लेता है.अगर 20 से अधिक सीढ़ी लगातार चढ़ने पर दम फूलने लगे.थोड़ी देर कसरत करने पर थकान महसूस हो तो चौकन्ने हो जाएं.यह सांस की गंभीर बीमारी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का प्रारम्भिक लक्षण हैं.समय से इलाज न होने पर यह जानलेवा हो सकता है.
यह कहना है जिले के वरिष्ठ फिजिशियन एवं श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ.शिव कुमार का. उन्होंने बताया कि करीब तीन फीसदी आबादी सीओपीडी की गिरफ्त में है.जिले में ही हजारों की आबादी इस बीमारी की शिकार है.आमतौर पर मामूली बीमारी समझकर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं.जबकि फेफडे़ की यह गंभीर बीमारी एक्स-रे से पकड़ में नहीं आती. इसके लिए स्पाइरोमेट्री जांच सबसे अहम है.शहर के पश्चिम पाली स्थित क्लिनिक में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सीओपीडी में सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं. उसमें सूजन आ जाती है.इसकी शुरूआत सांस फूलने से होती है.जो आगे चलकर अन्य बीमारियों की वजह भी बनती है.मांसपेशियां तथा हड्डियां कमजोर होने लगती हैं.खून की कमी के साथ मरीज दिल का रोगी भी हो जाता है.35 वर्ष की आयु पार करने वाले और ऐसे लक्षण वाले लोगों को फेफड़ों की कार्यक्षमता का पता लगाने की लिए स्पाइरोमेट्री जांच करानी चाहिए.
सड़क की धूल,धुआं और सिगरेट बना रही है बीमार
आमतौर पर सड़क पर उड़ने वाली धूल को हम नजरअंदाज कर देते हैं.यह बेहद खतरनाक है.सांस लेने पर फेफड़ों तक जा रहे धूल के महीन कण जानलेवा है. इसकी गणना पीएम-10 और पीएम-2.5 के रूप में करते हैं.हवा का इस प्रदूषण से फेफड़े खराब हो रहे हैं.इसकी वजह से वह लोग भी सीओपीडी के शिकार हो रहे हैं जो कि धूम्रपान नहीं करते हैं.हर साल लाखों लोग आ रहें हैं इसकी चपेट में
डॉ शिव कुमार ने बताया इस बार सीओपीडी दिवस पर फेफड़ों के काम को जानें की थीम रखी गई है.स्वस्थ और सुरक्षित फेफड़ा रहेगा तभी लोग स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.वर्तमान युवा पीढ़ी भी इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो रही है.युवाओं में इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह धूम्रपान है.अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगा तो देश में मौत का पांचवा सबसे बड़ा कारण सीओपीडी होगा.अगले दस सालों में मौतों की संख्या में 30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है.उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए बताया कि प्रदूषण के कारण हवाएं जहरीली हो रही है.विश्व में हर साल 30 लाख लोग सीओपीडी से मर रहे हैं.लक्षण
सुखी या बलगम के साथ होने वाली खांसीगले में घरघराहट
सांस लेने में तकलीफ जो काम करने के साथ और भी बढ़ती जाती हैछाती में जकड़न या खिंचाव महसूस होना
कारण
धूम्रपान अथवा परोक्ष धुम्रपानप्रदूषित वातावरण में काम करना जहां धूल या धुआं अधिक है
प्रदूषित हवा.सड़कों पर उड़ती हुई धूल
कोयले,लकड़ी,कूड़ा और उपले का धुआंबोले चिकित्सक
समय रहते उपचार और सावधानियां बरत कर इससे बचा जा सकता है.धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करें.धूल,प्रदुषण से खुद को बचाएं.जागरूकता और सावधानी से भी इस पर नियंत्रण किया जा सकता है.डॉ शिव कुमार
विभागाध्यक्ष टीबी एवं चेस्ट एमजीएम मेडिकल कॉलेज, किशनगंज B
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