पल्स पोलियो अभियान के तहत जिले में आगामी 22 सितंबर से पिलाई जाएगी दो बूंद दवा

आगामी 22 सिंतंबर से 26 सितम्बर पल्स पोलियो अभियान का आयोजन किया जायेगा , जिसकी शुरुआत जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में डीटीएफ की बैठक कर किया जा चुका है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 5, 2024 8:18 PM
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एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए टिकाकर्मी को दिया जा रहा प्रशिक्षण किशनगंज.भारत में पोलियो उन्मूलन के लिए चलाया जा रहा पल्स पोलियो अभियान एक बेहद महत्वपूर्ण और सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल है. 1995 में शुरू किए गए इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 5 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक देना है, ताकि इस गंभीर बीमारी से बच्चों को बचाया जा सके और देश को पोलियो मुक्त बनाए रखा जा सके.भारत ने 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन से पोलियो मुक्त देश का दर्जा प्राप्त कर लिया था. हालांकि, पोलियो का खतरा अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि यह बीमारी अब भी कुछ देशों में मौजूद है. सरकार इस बात से पूरी तरह अवगत है कि पोलियो फिर से न लौट आए, इसलिए नियमित रूप से पल्स पोलियो अभियान आयोजित किया जाता है. लाखों स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर बच्चे को पोलियो की खुराक मिले. इसी क्रम में आगामी 22 सिंतंबर से 26 सितम्बर पल्स पोलियो अभियान का आयोजन किया जायेगा , जिसकी शुरुआत जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में डीटीएफ की बैठक कर किया जा चुका है. अगले चरण में सभी प्रखंडो में सभी टिकाकर्मी को प्रशिक्षित किया जा रहा है |सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की पोलियो जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा तब तक समाप्त नहीं हो सकता जब तक विश्व भर से इसका उन्मूलन न हो जाए. इसलिए, पल्स पोलियो अभियान की निरंतरता बेहद जरूरी है, ताकि देश की सीमाओं के पार से वायरस दोबारा न फैल सके. इसके लिए स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे.

पोलियो की बीमारी बच्चे के अंगों को जीवन भर के लिए कमजोर कर देती है

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो विषाणु से मुख्यतः छोटे बच्चों में होता है. यह बीमारी बच्चे के अंगों को जीवन भर के लिये कमजोर कर देती है. पोलियो लाइलाज है क्योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है. बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है. मल पदार्थ में पोलियो का वायरस जाता है. ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन करने से यह रोग होता है. यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर रोग फैलाता है. पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है. स्पाइनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सा है जो रीड की हड्डी में होता है. पोलियो मांसपेशी हड्डी की बीमारी नहीं है. बच्चों में पोलियो विषाणु के विरुद्ध किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है, इसी कारण यह बच्चों में होता.

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