विश्व रेबीज दिवस: रेबीज ठीक होने वाला है रोग, समय पर कराना चाहिए उपचार: सीएस

पालतू व आवारा जानवरों के काटने से होने वाला रोग रेबीज पूर्णतः ठीक हो सकने वाला रोग है, किंतु इसके लिए समय पर और उचित उपचार जरूरी है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 28, 2024 7:58 PM

किशनगंज.पालतू व आवारा जानवरों के काटने से होने वाला रोग रेबीज पूर्णतः ठीक हो सकने वाला रोग है, किंतु इसके लिए समय पर और उचित उपचार जरूरी है. गर्म खून वाले जानवरों के काटने से होने वाली इस बीमारी के लक्षण उजागर होने पर इसका इलाज संभव नहीं है. क्योंकि इसके लक्षण मरीजों में बीमारी के अंतिम चरण में दिखाई पड़ते हैं जिसका उपचार नहीं किया जा सकता है. इसलिए इससे बचने के उपायों का अपनाना ही इसके रोकथाम का एकमात्र कारगर उपाय है. इसके लिए जरूरी है कि लोगों के बीच रैबीज के प्रति जागरूकता फैलायी जाये. 28 सितंबर को हर साल विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस घातक रोग के प्रति जागरूक करना और इसके रोकथाम के प्रयासों को बढ़ावा देना है. रेबीज एक वायरल रोग है जो संक्रमित जानवरों, विशेषकर कुत्तों के काटने से फैलता है. यह रोग जब एक बार विकसित हो जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप मृत्यु लगभग सुनिश्चित होती है. इसलिए, इससे बचाव और शुरुआती उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता होती है.

रेबीज के लक्षण और जोखिम

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया की रेबीज का वायरस सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. शुरुआत में हल्का बुखार, सिरदर्द और बेचैनी जैसे लक्षण उभरते हैं, लेकिन समय के साथ तंत्रिका संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती हैं. रोगी को अति उत्तेजना, पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), लकवा, और अंततः कोमा में जाने का जोखिम रहता है. एक बार लक्षण प्रकट हो जाने पर, इस रोग का इलाज असंभव हो जाता है, और मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए इसका प्राथमिक इलाज और टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया की रैबीज सिर्फ कुत्ते के काटने से ही नहीं अन्य जानवरों के काटने से भी होने का खतरा होता है. यह वायरस से फैलने वाला एक बेहद गंभीर रोग है. रैबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है. कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. रैबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है. रैबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है.

रोकथाम और टीकाकरण

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की रेबीज से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय टीकाकरण है. कुत्तों और बिल्लियों को रेबीज का टीका नियमित रूप से दिलवाना आवश्यक है. इसके अलावा, अगर किसी को रेबीज संक्रमित जानवर काटता है, तो उसे तत्काल चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए. ऐसे मामलों में पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) के तहत टीका और इम्युनोग्लोबुलिन दिए जाते हैं, जिससे वायरस के फैलाव को रोका जा सके. रेबीज जैसे जानलेवा रोग से बचने के लिए जनमानस को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक और गंभीर होना चाहिए. अक्सर ग्रामीण इलाकों में लोग जानवरों के काटने को मामूली घटना मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बहुत खतरनाक हो सकता है. समय पर चिकित्सा न मिलने से रेबीज की संभावना बढ़ जाती है. यह जागरूकता जरूरी है कि कोई भी जानवर के काटने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और रेबीज के खिलाफ टीका लगवाएं.

सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा

विश्व रेबीज दिवस न केवल इस बीमारी के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर है, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता की भावना विकसित करने का भी एक जरिया है. रेबीज से बचाव के सरल उपाय और समय पर चिकित्सा ही हमें इस घातक बीमारी से बचा सकते हैं. रेबीज के प्रति जागरूकता के लिए समुदायों को जागरूक करने की आवश्यकता है. स्कूलों, पंचायतों, और अन्य सामुदायिक संगठनों के माध्यम से रेबीज से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी जा सकती है. लोगों को इस बात से अवगत कराया जाए कि यदि वे पालतू जानवरों को टीका लगवाएं और अपने परिवार को समय पर चिकित्सा सेवा दिलवाएं, तो इस गंभीर रोग को रोका जा सकता है.

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