17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वाणी संयम किसी तप से कम नहीं माना जाता

शहर के तेरापंथ भवन में उपासक सुशील कुमार बाफना व सुमेरमल बैद के सानिध्य में जैन पर्युषण पर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया.

पर्युषण पर्व का चौथा दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया. किशनगंज.शहर के तेरापंथ भवन में उपासक सुशील कुमार बाफना व सुमेरमल बैद के सानिध्य में जैन पर्युषण पर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया.इस दौरान उपासक द्वय ने वाणी संयम के महत्व और मौन के महत्व को विस्तार पूर्वक उपस्थित श्रावक समाज को बताया.उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि अनावश्यक न बोलना ही सबसे बड़ा मौन है.उन्होंने कहा कि मधुरता से बोले,कम बोले. स्वर यंत्र को विश्राम देने से ऊर्जा का संचय होता है. उन्होंने आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित व्यवहार बोध के पद्य के माध्यम से वाणी संयम का सार बताते हुए सबको मीठा बोलने की प्रेरणा दी.सम्ययक्त्व को पुष्ट करने की प्रेरणा देते हुए उपासक सा ने सम्ययक्त्व के लक्षण,भूषण,दूषण की चर्चा की मीठी केवल जीभ है, फीके सब पकवान,खाया पीया सब खत्म, बेगम करे बयान. इस पद्य के साथ उन्होंने प्रवचन समाप्त करते हुए श्रावक समाज से निवेदन किया कि परिमित व सारपूर्ण बोले, कहां बोलना और कहां मौन रखना है इसका विवेक, साथ ही साथ बोलने व न बोलने में संतुलन एवं जप-तप कर अपनी आत्मा का उत्थान करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें